Sehore News: इस बार देश में पड़ सकती है एमपी के शरबती गेहूं की किल्लत, जानें- क्या है वजह
MP News: भोपाल संभाग में विदिशा रायसेन होशंगाबाद सहित सीहोर जिले में गेहूं की बोवनी का कार्य जारी है. किसानों को खाद की आवश्यकता है लेकिन उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रहा है.
Sehore News: देश भर में अपनी पहचान बनाने वाले सीहोर (Sehore) के शरबती गेहूं (Sharbati wheat) की इस बार देश में किल्लत हो सकती है. सिस्टम की लापरवाही और खाद की कमी के चलते किसान अपने खेतों में शरबती गेहूं की बोवनी आशानुरूप नहीं कर पा रहे हैं, इसका सीधा प्रभाव शरबती के उत्पादन पर पड़ेगा. देश से लेकर विदेश तक सप्लाई होने वाले सीहोर के शरबती गेहूं के स्वाद से इस बार लोगों को महरूम रहना पड़ सकता है.
किसानों को नहीं मिल रहा पर्याप्त मात्रा में खाद
बता दें कि भोपाल संभाग में विदिशा रायसेन होशंगाबाद सहित सीहोर जिले में गेहूं की बोवनी का कार्य जारी है. किसानों को खाद की आवश्यकता है लेकिन उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रहा है. सोसायटियों पर खाद के लिए घंटों किसान कतार में लग रहे हैं, बावजूद इसके उन्हें एक या दो बोरी से ही संतोष करना पड़ रहा है. हालांकि कृषि विभाग जिलेभर में पर्याप्त खाद होने का दावा कर रहा है लेकिन विभाग का यह दावा जमीनी स्तर पर खरा नहीं उतर रहा है.
कृषि विभाग बोला- खाद की कोई कमी नहीं
कृषि विभाग के मुताबिक रबी सीजन 2022-23 के लिए जिले के लिए 75 हजार 500 मीट्रिक टन यूरिया और 22 हजार टन डीएस की मांग वरिष्ठ कार्यालय को भेजी गई. वर्तमान में जिले के 108 सहकारी समितियों में 3191 मैट्रिक टन यूरिया तथा तीन हजार 967 टन डीएस भंडारित है. इसके अतिरिक्त जिले में एमपी एग्रो के मंडी स्थित विक्रय केन्द्र में 181 मैट्रिक टन यूरिया, 24 मैट्रिक टन डीएसपी और 30 मैट्रिक टन सुपर फास्फेट उपलब्ध है. सोसायटियों के माध्यम से किसानों को आसानी से खाद उपलब्ध हो रहा है. हालांकि विभाग के यह दावे सोसायटियों पर झूठे साबित हो रहे हैं. किसान खाद के लिए लंबी-लंबी कतारों में लग रहे हैं. बावजूद इसके उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
सीहोर में पैदा होता है 50-60 प्रतिशत शरबती
यूं तो मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में भी शरबती गेहूं की पैदावार होती है लेकिन अकेले सीहोर जिले में ही मध्य प्रदेश का 50 से 60 प्रतिशत शरबती गेहूं सीहोर जिले में पैदा होता है लेकिन इस बार खाद की कमी के कारण शरबती की चमक फीकी पड़ सकती है. गौरतलब है कि देश भर में शरबती गेहूं की मांग इसलिए होती है क्योंकि इसका स्वाद मीठा होता है. गेहूं की अन्य किस्मों की तुलना में इसमें ग्लूकोज और सुक्रोज जैसे सरल शर्करा की मात्रा अधिक होती है. शरबती गेहूं में सी-306 किस्म इसकी बेस्ट मानी जाती है. यही कारण है कि देश भर में सीहोर के शरबती गेहूं की डिमांड काफी अधिक होती है.
गुणवत्ता के लिए देश भर में शरबती की पहचान
बता दें कि सीहोर जिले में बड़ी मात्रा में शरबती गेहूं की खेती की जाती है. जिले में करीब 40 हजार 390 हेक्टेयर क्षेत्र में शरबती गेहूं की बोवनी की जाती है. जिले में इसका वार्षिक उत्पादन लगभग एक लाख नौ हजार 53 मीट्रिक टन है. सीहोर जिले में उगले वाला शरबती गेहूं अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है. क्षेत्र में काली और जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी है जो शरबती गेहूं के उत्पादन के लिए उपयुक्त है. शरबती गेहूं को इसके भूरे रंग के चलते 'द गोल्डन ग्रेन' भी कहा जाता है. यह हथेली पर भारी लगता है और इसका स्वाद मीठा होता है. शरबती किस्म का गेहूं टेस्ट में थोड़ा मीठा होता है.
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