Jabalpur News: पिता हुए शहीद अब बेटों ने अग्निवीर बनकर संभाली भारत माता की सुरक्षा की कमान, पढ़ें इनकी भावुक कहानी
MP News: अग्निवीर के पहले बैच में लगभग 360 युवाओं का चयन हुआ है, 1 जनवरी से इसका प्रशिक्षण शुरू हो चुका है. प्रशिक्षण के बाद इन्हें द ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट की अलग-अलग बटालियनों में तैनात किया जाएगा.
Jabalpur News: भारतीय सेना में अग्निवीरों के पहले बैच की ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है. इन अग्निवीरों में देश प्रेम और वीरता का जज्बा किस कदर भरा हुआ है, उनकी कहानी सुनकर आपको भी गर्व की अनुभूति होगी. कई अग्निवीर भारत माता के लिए कुर्बान होने वाली परम्परा के साथ देश की सेवा के करने लिए भारतीय सेना में आये हैं.
पिता हो गए शहीत अब बेटों ने संभाली कमान
यहां हम दो अग्निवीरों सैनिक रोहित कुमार और सैनिक साहिल हुसैन की कहानी बताने जा रहे है, जिसे सुनकर आप उन्हें सलामी देने को मजबूर हो जाएंगे. ये दोनों सैनिक द ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर (Grenadiers Regimental Centre Jabalpur ),जबलपुर में 1 जनवरी 2023 से अपना प्रशिक्षण शुरू कर चुके हैं.
सबसे पहले अग्निवीर साहिल हुसैन की कहानी सुन लेते हैं. अजमेर निवासी साहिल के पिता नायक ताजू कटाट (सेना मैडल) ग्रेनेडियर्स में भर्ती हुए थे. साल 2002 में उनकी तैनाती 6 ग्रेनेडियर्स बटालियन में जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में थी. एक दिन आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में वे देश के लिए वीरगति को प्राप्त हुए. तब साहिल हुसैन इतने छोटे थे कि उनको अपने पिता का चेहरा तक याद नहीं है. नायक ताजू कटाट को मरणोपरांत सेना मैडल से नवाजा गया था. अब बलिदानी परिवार की इसी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए साहिल हुसैन भी अग्निवीर के तौर पर द ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर में रिक्रूट हुए हैं.
शहीदों की चिताओं पर हर बरस लगेंगे मेले,
— AJAY TRIPATHI (ABP NEWS) (@ajay_media) January 14, 2023
वतन पर मर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा.
यह दोनों तस्वीरें अग्निवीर रोहित कुमार और साहिल हुसैन की है,जिनके पिता ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था.सैल्यूट है दोनों सैनिक परिवारों को.#IndianArmy@PMOIndia @rajnathsingh @abplive pic.twitter.com/1lTpomkEfy
दूसरी कहानी है अग्निवीर रोहित कुमार के परिवार की वीरता की है. उनके पिता ने भी देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. रोहित के पिता नायक हरिओम साल 2002 में पूर्वोत्तर इलाके में 9 ग्रेनेडियर्स बटालियन में तैनात थे. एक दिन उनकी यूनिट की भिड़ंत विद्रोही गुटों के आतंकवादियों से हो गई. आतंकवादियों से लोहा लेते हुए नायक हरिओम भारत माता की रक्षा में कुर्बान हो गए. अब अपने शहीद पिता जैसा ही जज्बा लेकर रोहित कुमार अग्निवीर के रूप में भारतीय सेना में भर्ती हुए हैं.
ऐसे वीर सपूतों के होते हुए हमेशा सुरक्षित रहेंगी सीमाएं
जबलपुर में द ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर में मीडिया ब्रीफिंग के दौरान सेना ने इन दोनों रिक्रूट को अपनी कहानी सुनाने की जिम्मेदारी दी. उन्हें सुनने के बाद हम कह सकते हैं कि अग्निवीर साहिल हुसैन और रोहित कुमार जैसे वीर सपूतों के होते हुए देश की सीमाएं सदा सुरक्षित रहेंगी. शहादत की जिस परंपरा से वे सेना में आये हैं, वो सेना के लिए भी किसी एसेट्स से कम नहीं है.
1 जनवरी से अग्निवीरों की ट्रेनिंग शुरू
दि ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल के कमांडेंट ब्रिगेडियर राजीव चावला ने कहा कि अग्निवीर स्कीम मील का पत्थर साबित होगी. यह स्कीम दूरदर्शी है. इसके काफी बेहतर परिणाम सामने आएंगे. उन्होंने बताया कि अग्निवीर कोर्स के पहले बैच में लगभग 360 चयनित युवाओं ने दिसंबर 2022 के अंतिम सप्ताह में ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर जबलपुर में रिपोर्ट किया. 1 जनवरी 2023 से उन्होंने अपना प्रशिक्षण शुरू कर दिया है.
प्रशिक्षकों की टीम युवा अग्निवीरों को एक अनुशासित सैनिक के रूप में ढालने में लगी है. ऐसा करने के लिए द ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर ने एक निष्पक्ष एवं पारदर्शी मूल्यांकन प्रणाली का बुनियादी ढांचा तैयार किया है. इसके साथ ही उच्च तकनीक वाले ट्रेनिंग शेड तथा नवीनतम तकनीकों वाले उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है. लगभग 31 सप्ताहों का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अग्निवीरों को द ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट की अलग-अलग बटालियनों में तैनात किया जाएगा.
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