(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Vyapam Scam: दिग्विजय सिंह की शिकायत पर फिर उछला व्यापम घोटाले का मुद्दा, 8 साल बाद दर्ज हुई FIR
Bhopal News: साल 2008 और 2009 में पीएमटी (प्री मेडिकल टेस्ट) में हुई गड़बड़ी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तत्कालीन एडीजी से शिकायत की थी. अभी तक मामले की जांच चल रही थी.
MP NEWS: मध्य प्रदेश में एक बार फिर व्यापम घोटाले की गूंज सभी जगह सुनाई दे रही है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की शिकायत पर 8 साल तक जांच करने के बाद स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने एफआईआर दर्ज कर ली है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 8 साल पहले तत्कालीन एडीजी सुधीर कुमार से मामले की शिकायत की थी.
मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला इतना चर्चित हो चुका है कि शिवराज सरकार ने व्यावसायिक परीक्षा मंडल भोपाल का नाम तक परिवर्तित कर दिया है. हालांकि अभी भी व्यापम घोटाला पीछा नहीं छोड़ रहा है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सदस्य दिग्विजय सिंह की शिकायत पर एसआईटी ने एक मुकदमा दर्ज किया है. साल 2008 और 2009 में पीएमटी (प्री मेडिकल टेस्ट) में हुई गड़बड़ी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तत्कालीन एडीजी से शिकायत की थी. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दस्तावेज भी प्रस्तुत किए थे, जिसके बाद साल 2014 में की गई शिकायत की जांच शुरू हुई. अभी तक मामले की जांच चल रही थी. अब जाकर जांच पूर्ण होने पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है.
इन लोगों के खिलाफ हुआ मुकदमा दर्ज
व्यापम घोटाले में अभी तक सैकड़ों आरोपी बन चुके हैं. इसी सूची में 8 नाम और जुड़ गए हैं. एसआईटी की टीम ने बड़वानी निवासी अमित बोडले, झाबुआ निवासी सूरज सिंह मौर्य, रीवा निवासी शिवशंकर प्रसाद, मुरैना निवासी हरिकिशन जाटव, बालाघाट निवासी प्रशांत मेश्राम, अजय निवासी मुरैना, कृष्णा कुमार निवासी अंबिकापुर छत्तीसगढ़ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. अभी सभी आरोपी फरार बताए जा रहे हैं.
दस्तावेजों में इन गड़बड़ी के साथ हुई शिकायत
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तत्कालीन पुलिस अधिकारियों को जो शिकायत सौंपी थी, उसमें कई दस्तावेज प्रमाण में गड़बड़ी का उल्लेख करते हुए आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई थी. इनमें सबसे बड़ी गड़बड़ी यह है कि कई आरोपियों ने उत्तर प्रदेश से हाई स्कूल और हायर सेकेडरी की परीक्षा पास की थी लेकिन उन्होंने मूलनिवास मध्य प्रदेश का लगाया था. इसके अलावा परीक्षा फॉर्म में लगाए गए फोटो और परीक्षा देने वाले के चित्र भी अलग-अलग थे. इसके लिए बकायदा प्रवेश पत्र तक बतौर सबूत पेश किया गया था.
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