MP News: स्मार्ट होते सागर पर बीते कई दिनों से मेंढक लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैंि. कुछ चुनिंदा इलाकों में हजारों लाखों की तादाद में छोटे-छोटे मेंढक घरों के अंदर तक घुस रहे हैं. हालात इतने विकट हैं कि लोगों का खाना-पीना तक हराम हो गया है. छोटे-छोटे मेंढक दर्जनों की तादाद में किचन, बेडरुम और बाथरुम तक घुस रहे हैं. इनका हमला तालाब किनारे बसे इलाकों में सबसे ज्यादा है.
स्मार्ट सिटी कंपनी कर रही है तालाब का सौंदर्यीकरण
मप्र के सागर संभागीय मुख्यालय पर स्मार्ट सिटी कंपनी तालाब का सौंदर्यीकरण करा रही है, इसके लिए बीते दो साल से झील खाली है. झील के चारों तरफ घाटों का निर्माण हो रहा है, तालाब की डीसिल्टिंग की गई है. तालाब के चारों तरफ रिंगरोड की तर्ज पर पाथ-वे बनाया जा रहा है. इन सबके बीच बीते 10 दिन में तालाब किनारे के इलाकों में रहने वाले लोगों का जीना दूभर हो गया है. पूरे इलाके में मेंढक फैल गए हैं.
इन इलाकों में घरों में घुस रहे मेंढक
तालाब किनारे गऊ घाट, किले के पीछे का इलाका, चकराघाट, बरियाघाट, बाल भोलेघाट, भटटो घाट, गणेश घाट, गंगा मंदिर से लेकर रानीपुरा तक इलाके में तालाब किनारे कच्चे पाथ-वे के किनारे बने मकानों में मेंढक ही मेंढक हो रहे हैं. बच्चे तो डर के कारण बाहर ही नहीं निकल रहे. मेंढकों की संख्या इस कदर है कि चलने में ये पैर के नीचे आकर कुचल जाते हैं.
प्रजनन काल चल रहा, तालाब से डायवर्ट हो रहे
तालाब किनारे बारिश शुरू होते ही मेंढक लाखों की तादाद में कहां से आ जाते हैं, इसको लेकर इलाके के बुजुर्ग बताते हैं कि गर्मी की समाप्ति और बारिश का शुरूआती महीना मेंढकों का प्रजनन काल होता है. चूंकि तालाब खाली किया गया, बड़ी-बड़ी मशीनें यहां काम कर रही हैं, इसलिए बीते सालों में मेंढक तालाब से बाहर आकर आसपास के नाली-नाले, पाइप, सीवर की खाली पड़ी लाइन, टैंक आदि नमी की जगह में ब्रीडिंग कर रहे हैं. बारिश होते ही इनका प्रजनन तेजी से होने लगा है और तालाब के अंदर काम चलने के कारण इन्होंने किनारों की तरफ का रुख कर लिया है.
कीटनाशक, केरोसिन और झाड़ू से हटा रहे मेंढक
हजारों की तादाद में मेंढक फैलने और उनके हमलों से परेशान लोग अब इनको मारने का जतन कर रहे हैं. सैकड़ों की संख्या में घरों में घुस रहे मेंढकों को झाडू, कीटनाशक दवाओं, नमक, गर्म पानी या केरोसिन डालकर घर में घुसने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें: