खरगोन: मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है. इसका असर जनपद और ग्राम पंचायतों में आयोजित होने वाले शासकीय कार्यक्रमों पर पड़ रहा है. पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया है. मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह सम्मेलनों को निरस्त कर दिया गया है. जनपद पंचायत की ओर से आयोजित होने वाले शासकीय सामूहिक विवाह /निकाह सम्मेलन का आयोजन न करने के आदेश जारी किए गए हैं.


कितने जोड़ों का होना था विवाह


खंडवा जिले में 1 जून को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह होना था. इसमें 892 जोड़ों का विवाह होना था. इस कार्यक्रम को आचार संहिता के कारण रद्द कर दिया गया है. सामाजिक न्याय विभाग की ओर से 30 मई को एक आदेश जारी किया गया है. इसमें सामूहिक विवाह में शामिल होने वाले परिवारों से कहा गया है कि प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से मुख्यमंत्री कन्यादान योजना अंतर्गत शासकीय आयोजन नहीं किया जाएगा.


आचार संहिता के चलते शासकीय आयोजन नहीं होंगे, लेकिन इसमें सोचने वाली बात यह है कि एक जून को होने वाले सामूहिक विवाह को मात्र 2 दिन बचे थे. इसमें शामिल होने वाले 892 परिवारों ने अपने रिश्तेदारों को निमंत्रण भेज कर शादी में आने का कहा था. अब ऐसी स्थिति में प्रशासन ने आचार संहिता के चलते आयोजन पर रोक लगाकर परिवार वालों की चिंता बढ़ा दी है. अब परिवार वाले अपने घर पर ही तैयारियों में जुट गए हैं. वो अगले 2 दिन में किस तरह की तैयारी परिवार कर पाएंगे, यह सोचने वाली बात है. सरकार के इस फरमान से ऐसे परिवारों की चिंताएं बढ़ गई हैं. बारात से लेकर मेहमानों की ठहरने तक की व्यवस्था और उनको भोजन व्यवस्था कर पाना इन परिवारों के लिए बहुत कठिन हो गया है. 


परिवारों की सता रही है अनुदान की चिंता


इन परिवारों की एक चिंता यह भी है कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत मिलने वाला अनुदान मिल भी पाएगा कि नहीं. अधिकांश परिवार कर्ज लेकर अपनी बच्चियों की शादी करने पर मजबूर हो गए हैं. दुल्हन बनी बच्चियों के माथे पर भी अपने पिता को कर्ज लेकर शादी करता देख शिकन आ गई है. अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन लोगों की किस तरीके से मदद कर पाता है.


बेटियों का दुख


खंडवा जिले के ग्राम राजपुरा के रहने वाले द्वारका गागले की दो बेटियों की शादी एक जून मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह योजना के तहत होनी थी. लेकिन आचार संहिता के चलते कार्यक्रम निरस्त हो गया है. अब इस परिवार को कर्ज लेकर अपनी बच्चियों की शादी का इंतजाम करना पड़ रहा है. शीतल गागले ने बताया कि सामूहिक विवाह ऐन वक्त पर निरस्त होने की वजह से मेरे पापा ने कर्ज लेकर अब हम बहनों की शादी की तैयारियां कर रहे हैं. यही कहानी ग्राम मगरिया की रहने वाली राधिका पवार की भी है. वो कहती हैं कि इतने कम समय में कैसा इंतजाम कर पाएंगे मेरे पितास वो बहुत गरीब हैं.


वहीं खरगोन के सामाजिक न्याय और नि:शक्तजन कल्याण विभाग के उपसंचालक प्रभारी ओमनारायण बड़कुल का कहना है कि शासन ने विवाह पर कोई रोक नहीं लगाई है, केवल चुनाव आचार संहिता के अन्तर्गत शासकीय कार्यों पर रोक लगाई है. शादियों पर फैसला अब शासन-प्रशासन करेगा.


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