भोपाल: मध्य प्रदेश में बाघों का शिकार लगातार हो रहा है. इसके बाद भी उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं. इस गंभीर संकट के बीच मध्य प्रदेश सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं सरकार बाघों को लेकर लगातार सक्रिय दिखाई देती है और इनकी सुरक्षा की बात भी करती है फिर भी बाघों का शिकार हो रहा है.
मध्य प्रदेश में 2018 के बाघ आकलन के अनुसार देश में सबसे ज्यादा बाघ हैं. प्रदेश में उनकी संख्या 526 है. मध्य प्रदेश में बाघों की सुरक्षा के दावे भी किए जाते हैं, लेकिन हकीकत कुछ ओर ही है. इनकी सुरक्षा के इंतजाम कोई भी नहीं दिखाई दे रहे हैं. मध्य प्रदेश में लगातार बाघों की मौत हो रही है. पिछले साल 42 बाघों की मौत हुई थी. इस साल अबतक 10 बाघों की मौत हो चुकी है. इस गंभीर संकट को लेकर न वन विभाग संवेदनशील है और न ही मध्य प्रदेश सरकार.
केंद्र ने मध्य प्रदेश सरकार को क्या सलाह दी थी
मध्य प्रदेश सरकार बाघों की सुरक्षा के इंतजाम को लेकर टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन ही नहीं कर पा रही है. केंद्र सरकार ने 2012 में कान्हा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में फोर्स गठित करने की सलाह दी थी. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार है कि इस ओर ध्यान ही नहीं दिया. वर्चस्व खोने के डर से उन्होंने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था.
केंद्र सरकार बाघों की सुरक्षा के लिए 100 फीसदी फंड देने को तैयार भी थी. इसके लिए शर्त यह थी कि केंद्र सरकार द्वारा तीनों टाइगर रिजर्व क्षेत्र का संचालन करेगी. इसी डर से मध्य प्रदेश सरकार ने निर्णय नहीं लिए. ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार का दखल नहीं होता.
स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के गठन में देरी की वजह क्या है
मध्य प्रदेश में बाघों की सुरक्षा के लिए स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स टीम गठित करने में देरी की वजह यह है कि वन विभाग को पुलिस बल नहीं मिल पा रहा है. पुलिस मुख्यालय ने साफ कह दिया है कि पार्कों को देने के लिए पुलिसकर्मी उसके पास नहीं हैं. इसके बाद से वन विभाग ने वनरक्षक और वनपाल को फोर्स में रखने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है. यह प्रस्ताव भेजे भी 3 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उस पर कोई फैसला नहीं हुआ है.
आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने बताया कि हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी. इसके बाद 16 अक्टूबर 2019 को वन विभाग में प्रस्ताव में संशोधन करके सरकार को भेजा था. प्रस्ताव करीब सवा साल गृह विभाग में पड़ा रहा. इसके बाद उसे वन सचिवालय को लौटा दिया गया. अब नोटशीट अलमारी में कैद है. उनका कहना है कि सरकार को बाघों की सुरक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए.
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