MP News: मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव पर रोक की याचिका पर HC ने सुनाया बड़ा फैसला, जानें क्या कहा
मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सुनवाई की. 40 मिनट की जिरह के बाद कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगाने से साफ इन्कार कर दिया है.
जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस रवि मलिमथ की बेंच में तकरीबन 40 मिनट चली सुनवाई के बाद चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से किया इनकार कर दिया गया. राज्य निर्वाचन आयोग के उस तर्क को कोर्ट ने मान लिया,जिसमे कहा गया था कि एक बार निर्वाचन अधिसूचना जारी होने के बाद चुनाव स्थगित नहीं किया जा सकता. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता विवेक तंखा ने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया जाएगा.
राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव को लेकर दर्ज कराई थी प्रारंभिक आपत्ति
मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर हाई कोर्ट में दाखिल तमाम आपत्ति याचिकाओं पर क़रीब 40 मिनट तक बहस चली. हाल ही में घोषित हुए पंचायत चुनाव को कई याचिकाओं के माध्यम से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. पंचायत चुनाव संबंधी विभिन्न याचिकाओं पर राज्य निर्वाचन आयोग ने भी बुधवार को अपनी प्रारंभिक आपत्ति दर्ज कराई थी. राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ द्वारा तीन बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कराई थी.
राज्य निर्वाचन आयोग ने तीन बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कराई थी
1. सबसे पहले दलील दी गई है कि संविधान की धारा 243 (O) समेत समेत सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के विभिन्न न्याय दृष्टांत ये कहते हैं कि एक बार निर्वाचन संबंधी अधिसूचना जारी हो जाए तो अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती.
2. इसी तरह धारा 244 (Z, D) के तहत कार्यकाल खत्म होने के पहले ही निर्वाचन आयोग का यह दायित्व है कि वह समय अनुसार चुनाव संपन्न कराए. मार्च 2020 में मध्य प्रदेश के अधिकांश पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। ऐसे में पहले से ही निर्वाचन आयोग विलंब से चुनाव करा रहा है.
3. वहीं तीसरी आपत्ति दी गई है कि अगर 1 जनवरी 2022 के पहले निर्वाचन संबंधी कार्य पूर्ण नहीं होता तो नियमानुसार फिर से मतदाता सूची बनानी होगी। ऐसे में चुनाव कराने में अतिरिक्त विलंब होगा.
बता दें कि राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रारंभिक आपत्तियां दर्ज कराते हुए हाई कोर्ट की जबलपुर मुख्य पीठ के साथ ग्वालियर और इंदौर पीठ में दायर सभी याचिकाओं को निरस्त करने की मांग की थी.
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