MP News: आईएएस संगठन ने गैंगस्टर आनंद मोहन की रिहाई पर जताई चिंता, कहा- इस पर फिर से सोचे सरकार
Anand Mohan: मध्य प्रदेश आईएएस एसोसिएशन के सचिव विवेक पोरवाल ने कहा कि इस फैसले से हर लोक सेवक के मनोबल और धैर्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
MP News: मध्य प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने तीन दशक पहले बिहार में एक आईएएस अधिकारी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गैंगस्टर आनंद मोहन की रिहाई पर शुक्रवार को गहरी चिंता और क्षोभ व्यक्त किया.
गैंगस्टर से राजनीति में आने के बाद सांसद रह चुके मोहन को गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में 15 साल तक सलाखों के पीछे रहने के बाद गुरुवार को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया. कृष्णैया को 1994 में मुजफ्फरपुर जिले में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था. मोहन की रिहाई 'जेल सजा छूट आदेश' के तहत हुई है. हाल में बिहार सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव किया था, जिससे मोहन समेत 27 अभियुक्तों की समयपूर्व रिहाई का रास्ता साफ हुआ.
नीतीश कुमार नीत बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार जेल नियमावली, 2012 में संशोधन कर उस उपबंध को हटा दिया था, जिसमें कहा गया था कि 'ड्यूटी पर कार्यरत लोक सेवक की हत्या' के दोषी को उसकी जेल की सजा में माफी/छूट नहीं दी जा सकती.
'इस पर फिर से सोचे सरकार'
मध्य प्रदेश आईएएस एसोसिएशन के सचिव विवेक पोरवाल ने कहा, ''उपरोक्त फैसले से प्रत्येक लोक सेवक के मनोबल और धैर्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.'' उन्होंने कहा कि एसोसिएशन सर्वसम्मति से इस फैसले को अस्वीकार करता है और संबंधित राज्य सरकार से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता है.
2007 में सुनाई गई थी सजा
गौरतलब है कि अक्टूबर 2007 में एक स्थानीय अदालत ने शुरू में मोहन को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में पटना हाईकोर्ट ने दिसंबर 2008 में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील में सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था. बिहार सरकार के इस फैसले को लेकर राज्य में विपक्षी दल बीजेपी ने उसकी आलोचना की है. भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सहयोगी राजद के समर्थन से सत्ता में बने रहने के लिए कानून की बलि चढ़ाने का आरोप लगाया है.
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