MP News: क्या मध्य प्रदेश में बिजली के बिल में होगा भारी इजाफा, जानिए- डिस्कॉम ने क्या मांग रखी है
मध्य प्रदेश में एक बार फिर बिजली के दाम बढ़ाने की तैयारी हो रही है. दरअसल बिजली कंपनी ने 4981 करोड़ रुपए का भार आम उपभोक्ताओं पर डालने सम्बंधी याचिका विद्युत नियामक आयोग के समक्ष दायर की गई है.
जबलपुर: मध्यप्रदेश में बिजली (Electricity) के दाम बढ़ाने की कवायद फिर शुरू हो गई है. दरअसल मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड (Madhya Pradesh Power Management Company Limited) द्वारा विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) के समक्ष 4981 करोड़ रुपए का भार आम उपभोक्ताओं पर डालने सम्बंधी याचिका दायर की गई है. इस याचिका पर नियामक आयोग (Regulatory Commission) 22 फरवरी को सुनवाई करेगा और 8 फरवरी तक आम उपभोक्ता (Consumer) या अन्य संबंधित लोग इस पर आपत्ति दर्ज करा सकते हैं.
नुकसान की भरपाई जनता से करने की हो रही है तैयारी
बिजली क्षेत्र के जानकार राजेंद्र अग्रवाल के अनुसार मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी की बिजली के दर बढ़ाने की याचिका उनकी अक्षमता को दिखाती है. बिजली कम्पनी सरप्लस बिजली के बावजूद सालाना 3324 करोड़ रुपए ऐसे पॉवर प्लांट को दे रही हैं, जिनसे बिजली ली ही नहीं जाती है.इसके अलावा वितरण हानि का नुकसान भी जनता से ही वसूलने की तैयारी की जा रही है.
बिजली कंपनी ने साल 2020-21 में हुए नुकसान की भरपाई के लिए दायर की है याचिका
यहां आपको बता दें कि बिजली कंपनी ने साल 2020-21 में हुए नुकसान की भरपाई के लिए मप्र विद्युत नियामक आयोग के पास 4981 करोड़ रुपये की राशि वसूलने के लिए याचिका दायर की है. बिजली सम्बंधी मामलों के जानकार एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं. अग्रवाल ने आपत्ति में कहा है कि प्रदेश में सरप्लस बिजली के बावजूद सालाना 3324 करोड़ रुपये ऐसे पॉवर प्लांटों को दिए जाते हैं जिनसे बिजली ली ही नहीं जाती है. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी की तरफ से कई ऐसे पॉवर परचेस एग्रीमेंट हुए हैं, जिस वजह से बिना बिजली लिए ही उन्हें फिक्स राशि भुगतान करने का प्रावधान है.
तीन हजार करोड़ रुपये का नुकसान जनता से वसूलने की तैयारी
इसके साथ ही बिजली वितरण में होने वाली हानि के करीब तीन हजार करोड़ रुपये का नुकसान भी जनता से वसूलने की तैयारी है, जो पूरी तरह से गलत है. राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि पारेषण शुल्क के रूप में बिजली कंपनियों द्वारा 1508 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च किया गया है और इस नुकसान की भरपाई भी कंपनियां आम लोगों से करना चाहती हैं. साथ ही बिजली ट्रेडिंग मार्जिन के लिए निजी कंपनी को 11 करोड़ रुपये दिए गए है, जबकि बिजली रेग्युलेशन में इसका कहीं प्रावधान नहीं है.
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