MP News: छिंदवाड़ा के मंदिरों से निकले फूल कचरा बनने की जगह फैला रहे हैं खुशबू, जानें कैसे
Chhindwara News: नगर निगम 'पुष्प की अभिलाषा' अभियान के माध्यम से छिंदवाड़ा के सभी बड़े छोटे मंदिरों से फूलों को एकत्रित करता है. फिर, इन फूलों से अगरबत्ती बनाई जाती है.
Madhya Pradesh Chhindwara Temples Flowers: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छिंदवाड़ा (Chhindwara) में नगर निगम इन दिनों अनूठी पहल कर मंदिरो में भगवान पर चढ़े फूलों से अगरबत्ती बनाने का काम कर रहा है. इससे ना केवल मंदिर (Temple) के पवित्र अवशिष्ट का पर्यावरण के अनुकूल निपटान हो रहा है बल्कि बहुत से लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. छिंदवाड़ा नगर निगम (Chhindwara Municipal Corporation) ने अपने इस अनूठे प्रयास को 'पुष्प की अभिलाषा' नाम दिया है. इसके माध्यम से निगम समाज में बेहतर संदेश भी दे रहा है. निगम ने भगवान के निर्माल्य को इकट्ठा कर आस्था को सहेजने और मंदिरो में भगवान पर चढ़े फूलों को नदियों, तालाब सहित अन्य स्थानों में विसर्जित होने से रोककर प्रदूषण कम करने का अनुकरणीय कार्य किया है.
रोजगार का हो रहा है सृजन
नगर निगम कमिश्नर हिमांशु सिंह (Himanshu Singh) के मुताबिक, फूलों के पाउडर से बनने वाली अगरबत्ती से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष 50 से अधिक लोग जुड़े हैं. निगम के इस प्रयास से रोजगार का सृजन भी हो रहा है. छिंदवाड़ा में 'पुष्प की अभिलाषा' वाहन 3 दिन के अंतराल में 30 से 40 मंदिरों से 500 किलो से ज्यादा फूलों को एकत्रित करता है.
ऐसे होता है काम
निगम के अधिकारियों के मुताबिक, 'पुष्प की अभिलाषा' अभियान के माध्यम से नगर निगम का पुष्प की अभिलाषा वाहन शहर के सभी बड़े छोटे मंदिरों से फूलों को एकत्रित करता है. इस वाहन के जरिए फूलों को ठोस अपशिष्ट पृथकरण केंद्र, परासिया रोड में डंप किया जाता है. निगम कर्मचारियों के जरिए फिर इन फूलों को धूप में सूखाया जाता है. सूखने के बाद फूलों के बुरादे का वजन पहले की अपेक्षा सिर्फ 20 प्रतिशत ही बचता है. इस बुरादे में काड़ी पर पकड़ बनाने के लिए अल्प मात्रा में चारकोल मिलाकर अगरबत्ती मशीनों के दरिए तैयार की जाती है. फिर, पैकेजिंग कर इन अगरबत्तियों को बाजार में भेजा जाता है.
लागत में भी आई है कमी
गौरीशंकर महिला सहायता समूह की महिलाओं को अगरबत्ती बनाने का काम सौंपा गया जिससे आज उनकी आजीविका चला रही है. निगम की तरफ से अगरबत्ती बनाने के लिए फूलों का बुरादा उपलब्ध करवाने से उनकी लागत में भी कमी आई है.अब 100 प्रतिशत चारकोल की जगह 80 प्रतिशत फूलों के बुरादे और सिर्फ 20 प्रतिशत चारकोल मिलाकर अगरबत्ती बनाई जा रही है. इसी वजह से पहले की अपेक्षा से काफी कम लागत में अगरबत्ती तैयार हो रही है.
सेहत के लिए नहीं है हानिकारक
चिकित्सकों का कहना है प्राकृतिक तरीके से बनी अगरबत्ती सेहत के लिए हानिकारक नहीं होगी. डॉक्टर जीएस दुबे के मुताबिक बाजार में आने वाली केमिकल युक्त और तेज गंध वाली अगरबत्ती सेहत के लिए हानिकारक है. वहीं, निगम की तरफ से फूलों के बुरादे से यानी पूरी तरह से प्राकृतिक मैटेरियल से बनी अगरबत्ती सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाएगी.
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