Hanuman Chalisa in Urdu: जैसे की हम सभी जानते हैं कि धार्मिक पुस्तकें जिनमें ज्ञान का भंडार होता है, उन्हें जब कोई इंसान पढ़ता है चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो तो ये ज्ञान का भंडार रखने वाली पुस्तकें पढ़ने वाले के धर्म को जाने बिना अपने अंदर अर्जित ज्ञान को उस इंसान के अंदर समाहित कर उसे धर्म का ज्ञान देती हैं. लेकिन आज देश भर में धर्म के नाम पर राजनेता अपनी राजनैतिक रोटियां सेक रहे हैं. कोई चाहे कितनी भी राजनैतिक रोटियां सेक ले, लेकिन हमारे देश कि संस्कृति में अनेकता में एकता का परिदृश्य हमेशा ही देखने को मिलता रहेगा.


इसी परिदृश्य के चलते आज शहर में हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ हनुमान चालीसा और सुन्दरकाण्ड की उर्दू भाषा में लिखी किताबों की मांग अचानक से बढ़ने लगी है और यही बात हमारे देश की अनेकता में एकता को दर्शाती है. साथ ही सभी को मिल-जुल कर रहना और सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाती है.



उर्दू में लिखी हनुमान चालीसा की जबरदस्त डिमांड
 इंदौर शहर में उर्दू भाषा में लिखी हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की अचानक से मांग बढ़ गई है. पहले जहां एक दिन में 200 के आसपास धार्मिक पुस्तक बिकती थी. वहीं पिछले कुछ दिनों से इन किताबों कि मांग दोगुनी हो गई है. राजवाड़ा स्थित सरदार सोहन सिंह बुक सेलर दुकान पर लोग उर्दू किताब खरीदने पहुंच रहे हैं. मजे की बात ये है कि उर्दू में लिखी गई ये किताब हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामायण हैं. किताब को पहली मर्तबा देखने पर आपको लगेगा कि यह कोई मुस्लिम किताब है लेकिन हकीकत में ये हिंदू धार्मिक पुस्तकें हैं जिन्में उर्दू में लिखा गया है.


कौन है उर्दू में लिखी हनुमान चालीसा का खरीदार
हनुमान चालीसा का पाठ इंदौर में उर्दू में किया जा रहा है. किताबों को बेचने वाले दुकान संचालक सरदार लाल बहादुर कनेजा ने बताया कि पंजाब के सिंध प्रदेश से विस्थापित लोग जिन्होंने इंदौर में शरण ली थी उन्हें यहां की नागरिकता में मिल चुकी है. इस समुदाय के लोग वर्षों तक पाकिस्तान में रहे इसलिए इन्हें उर्दू भाषा में बोलना और पढ़ना हिंदी की अपेक्षा ज्यादा सरल लगता है. इसलिए इस समुदाय के लोग उर्दू भाषा में हनुमान चालीसा, रामायण और सुंदर कांड खरीदने आते हैं. उन्होंने बताया कि गीता भी उर्दू में लिखी हुई है. पिछले कुछ दिनों से इन किताबों की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है. पिछले कई सालों कि अपेक्षा पिछले कुछ महीनों में युवाओं ने सबसे ज्यादा हनुमान चालीसा खरीदी है. युवा पीढ़ी हनुमान से जुड़ती ज्यादा दिखाई दे रही है. कनेजा ने बताया कि एक तरफ देश में जहां हिजाब,अजान और हनुमान चालीसा को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. वहीं इंदौर में युवा पीढ़ी उर्दू में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की खरीदारी कर रही है. उर्दू में छपी किताबों की जमकर डिमांड देखने को मिल रही है.


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