सीहोर: जब हम पढ़ते हैं तो हमारें अंदर वो किरदार आ जाते हैं. हम पढ़ते-पढ़ते उनमें ढल जाते हैं. किताबों में हर तरह के किरदार जीते हैं. उन्हीं से मिलते-जुलते किरदार फिल्मों में निभाने को मिलते हैं. यही कारण है कि जो पढ़ते हैं कि वो किसी भी किरदार को निभाते समय आसानी से उसमें ढल जाते हैं. जो पढ़ते हैं उनकी अदाकारी अलग ही दिखती है. जो साहित्य से जुड़े हैं उनके किरदार में अलग ही निखार आता है और वो पर्दे पर दिखाई देता है. इरफान खान, नवाजुद्दीन, मनोज पहावा, सीमा पहावा, कुमुद मिश्रा और संजय शर्मा की अदाकारी अलग ही दिखती है. फिल्म इंड्रस्टी में कई कलाकार ऐसे हैं जो साहित्य से जुड़े हैं. यह कहना है मशहूर अभिनेता यशपाल शर्मा का जो 4 जून को सीहोर में आयोजित ढींगरा फैमिली फाउण्डेशन और शिवना प्रकाशन के साहित्यकार सम्मान समारोह में शामिल होन आ रहे हैं. उनसे आयोजन, साहित्य और अदाकारी को लेकर लंबी चर्चा हुई.


सम्मान समारोह में होंगे शामिल


उन्होंने कहा कि ढींगरा फैमिली फाउण्डेशन और शिवना प्रकाशन विभिन्न विधाओं के साहित्यकारों का हर साल सम्मान समारोह करता है. इसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के साहित्यकारों को सम्मानित किया जाता है. इसी के तहत यह आयोजन 4 जून को पहली बार शहर में होने जा रहा है. इस आयोजन में साहित्य में रुचि रखने वाले मशहूर फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि एक अभिनेता को साहित्य पढ़ना चाहिए. साहित्य आपको अपने जीवन के अलग-अलग केरेक्टर में लेकर जाता है.


यशपाल शर्मा की पसंदीदा किताब कौन सी है 


कुछ किरदार ऐसे होते हैं जो आप पढ़ते-पढ़ते जीने लगते हैं. जब मैं अकाल में उत्सव पढ़ रहा था, तो में उसके मुख्य किरदार को अपने अंदर जीकर चल रहा था. उसकी मुसीबत मेरी मुसीबत हो गई थी. जब उसकी खड़ी फसल पर पहला ओला गिरा तो मुझे लगा कि मेरी फसल पर ओला गिरा.यह सोचकर ही मेरी रूह कांप गई थी. अकाल में उत्सव में जो मुख्य किरदार है किसान उसकी व्यथा को इतने अच्छे से प्रस्तुत किया है कि मैंने उसे लंबे समय तक जिया.


यह भी पढ़ें


MP News: टैक्स जमा करने में अब शहरों को पीछे छोड़ रहे हैं मध्य प्रदेश के गांव, जानिए गांवों से जमा हुआ कितने का टैक्स


Mandsaur News : इस्लाम छोड़ शेख जफर ने अपनाया हिंदू धर्म, अब इस नाम से जाने जाएंगे