उज्जैन: रामायण सर्किट एक्सप्रेस में वेटरों को गेहुआ वस्त्र पहनाने के मामले में उज्जैन के परमहंस डॉक्टर अवधेश पुरी ने विरोध दर्ज कराते हुए रेल मंत्री को पत्र लिखा था. वहीं यह पूरा मामला जब मीडिया में छाया तो आईआरसीटीसी ने अपना फैसला बदल दिया.


दरअसल रामायण सर्किट एक्सप्रेस में वेटरों को साधु संतों की तरह गेहुए रंग की वेशभूषा का साधु संतों ने विरोध शुरू कर दिया था. उज्जैन में महामंडलेश्वर आचार्य शेखर ने इस पर घोर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि व्यक्ति की पहचान उसके वस्त्रों से होती है. ऐसी स्थिति में गेहुए वस्त्र पहनाकर साधु संतों का अपमान किया जा रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.




अखाड़ा परिषद के पूर्व महामंत्री अवधेश पुरी महाराज ने रेल मंत्री को लिखा था पत्र


वहीं अखाड़ा परिषद के पूर्व महामंत्री अवधेश पुरी महाराज ने भी अपना विरोध दर्ज कराते हुए रेल मंत्री को पत्र तक लिख दिया था. डॉ अवधेश पुरी महाराज ने कहा कि भगवान श्री राम स्वयं साधु संतों का काफी आदर करते थे लेकिन रामायण सर्किट एक्सप्रेस में गेहुए वस्त्र पहने वेटर यात्रियों का झूठा उठाएंगे, जिससे अच्छा संदेश नहीं जाएगा. अखाड़ा परिषद के पूर्व महामंत्री अवधेश पुरी महाराज ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि यदि वेटरों के वस्त्र नहीं बदले गए तो आने वाले समय में राम भक्तों के साथ मिलकर साधु-संतों को रामायण सर्किट एक्सप्रेस ट्रेन रोकना पड़ेगी. इस अल्टीमेटम को लेकर पूरा मामला सुर्खियों में आ गया था. हालांकि आईआरसीटीसी ने वेशभूषा परिवर्तित कर पूरे विवाद का पटाक्षेप कर दिया है.




IRCTC ने ट्वीट कर नई वेशभूषा की सार्वजनिक


आईआरसीटीसी (IRCTC) ने ट्वीट कर वेटरों की नई वेशभूषा का चित्र सार्वजनिक कर दिया है. नई वेशभूषा को लेकर साधु-संतों को कोई आपत्ति नहीं है. आचार्य महामंडलेश्वर आचार्य शेखर और अवधेश पुरी महाराज ने संतोष जताया है. उन्होंने कहा कि रेलवे विभाग ने साधु संतों की जायज मांग पर मोहर लगाकर उचित फैसला लिया है.




बता दें कि आईआरसीटीसी ने अब रमायण सर्किट एक्सप्रेस में वेटर्स की ड्रेस बदलकर पैंट-शर्ट कर दी है. 


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