MP News: जबलपुर में नर्मदा के बांध के लिए प्रसिद्ध बरगी में सरकार द्वारा 500 एकड़ जमीन मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड को आवंटित की गई है. यह जमीन फिल्म सिटी में उपयोग के लिए तय की गई है. अब फिल्म सिटी बनाने के लिए मुंबई,चेन्नई, हैदराबाद,बैंगलुरु,कोलकाता समेत देश की नामी इंटरटेनमेंट कंपनियों के इंवेस्टर्स को यहां बुलाया जाएगा. इसके लिए जबलपुर में दो दिवसीय फिल्म सिटी इंवेस्टर्स मीट आयोजित की जाएगी, जिसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं.
इंवेस्टर्स मीट में एक दिन सेमीनार होगा. इसमें शहर में फिल्म सिटी बनाने वालों के साथ उन्हें मिलने वाली सुविधाओं समेत अन्य जानकारियां दी जाएंगी. दूसरे दिन फिल्म सिटी साइट का भ्रमण कराया जाएगा. जो इन्वेस्टर्स जहां जगह पसंद करेगा उसे काम के अनुसार जमीन आवंटित की जाएगी. इंवेस्टर्स स्वयं इस फिल्म सिटी का संचालन करेंगे. जबलपुर पुरातत्व पर्यटन और संस्कृति परिषद के सीईओ हेमंत कुमार सिंह के मुताबिक राज्य शासन द्वारा बरगी के तिन्सा, तिन्सी और गजना गांव में 170 हेक्टेयर जमीन मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड को हस्तांतरित की गई है.
जल-जंगल-पहाड़ की प्राकृतिक खूबसूरती मोह लेती है पर्यटकों का मन
इसमें तिन्सी में 81.180 हेक्टेयर, तिन्सा में 24.530 हेक्टेयर और गजना 62.920 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की गई है. कहा जा रहा है कि प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जरूरी जल, जंगल, पहाड़ के साथ वे सभी खूबियां यहां मौजूद हैं, जो फिल्म की लोकेशन के लिए जरूरी होती हैं. भेडाघाट,धुआंधार और बरगी में जल-जंगल-पहाड़ की प्राकृतिक खूबसूरती पर्यटकों का मन मोह लेती है. जबलपुर के सीए अनिल अग्रवाल कहते है कि इसके बनने से स्थानीय फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों को फायदा होगा. इसके साथ ही बाहरी निर्माताओं के आने से टूरिज्म सेक्टर में भी उछाल आएगा.
होगी प्रदेश की पहली फिल्म सिटी
यह प्रदेश की पहली फिल्म सिटी भी होगी. अब फिल्म सिटी के निर्माण की कोशिशें शुरू होने से प्रदेश और स्थानीय कलाकारों के लिए मौके बढ़ेंगे. पहले भी खूबसूरत लोकेशन और सुविधा के चलते जबलपुर फिल्म निर्माताओं के लिए बेहद पसंदीदा जगह रहा है. फिल्म सिटी क्षेत्र में शूटिंग-रिकॉर्डिग स्टूडियो, टेक्निकल ऑफिस, एक्टिंग स्कूल, ओपन शूटिंग साइट्स के साथ-साथ फिल्म क्षेत्र की अन्य सुविधाओं का निर्माण होगा. इससे बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होगा.
अब गेंद जिला प्रशासन के पाले में
सीए अनिल अग्रवाल का कहना है कि अब गेंद जिला प्रशासन और स्थानीय व्यापारिक प्रतिनिधियों के पाले में है. देखना यह होगा कि प्रशासन, प्रदेश सरकार और व्यापारिक चेम्बर्स कितनी संवेदनशीलता से इस प्रोजेक्ट पर काम करते हैं और पैशेवर तरीके से आगें बढ़ते हैं. क्योंकि नियोजित तरीके की कमी और लापरवाही अक्सर शहर पर भारी पड़ती है. प्रशासन से आग्रह है कि तुरंत व्यापारिक चेम्बर्स से चर्चा कर एक पूर्ण नियोजित कार्ययोजना बनाए, ताकि फिल्म सिटी की सौगात शहर को मिल सके.