MP News: अगर ओमिक्रोन से बचना है तो हर घर से एक कोरोना वारियर तैयार करना होगा. जो अपने साथ पूरे परिवार की सेहत पर नजर रख सके. बचाव के तरीके पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी होगी. सेल्फ मॉनिटरिंग ओर ध्यान देना होगा. ओमिक्रोन का खतरा बड़ा जरूर है लेकिन घबराने की जरूरत नही है. यह कहना है जबलपुर के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन के डायरेक्ट और चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ जितेंद्र भार्गव का.


'कोविड गाइडलाइंस का करें पालन'
दरअसल डॉ भार्गव ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में राज्य सरकार और जबलपुर जिला प्रशासन को बीमारी से लड़ने के लिए कई बहुमूल्य सुझाव दिए थे, जिन पर अमल करके महामारी को रोकने में कामयाबी मिली थी. डॉ भार्गव ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा कि देश की बड़ी आबादी को देखते हुए ओमिक्रोन का खतरा भी बड़ा है. इससे निपटने का थम्ब रूल आज भी कोविड अनुरुप व्यवहार ही है, यानी मास्क पहने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, बार-बार साबुन या सेनेटाइजर से हाथ धोएं और जरूरत न हो तो घर से बाहर न निकलें.




बुजुर्गों का रखें खास ख्याल
डॉ भार्गव के मुताबिक जरूरी है कि हर घर में थर्मामीटर और ऑक्सिजन नापने वाला ऑक्सिमीटर होना चाहिए. दरअसल ओमिक्रोन वायरस में मरीज में वैसे लक्षण भी नहीं आते, जैसे डेल्टा वेरिएंट या उसके पहले के कोरोना वेरिएंट में आ रहे थे. इसके साथ ही हर घर में किसी एक सदस्य को बाकी सदस्यों खास कर बुजुर्गों की सेहत पर नजर रखने के लिए फ्रंट लाइन वारियर जैसा जिम्मेदार बन जाना चाहिए. ये सभी उपाय ओमिक्रोन के नए खतरे से भी सभी को उबार लेंगे.


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