Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश (MP) के 453 नर्सिंग कॉलेजों से जुड़े फर्जीवाड़े (Nursing Colleges Fraud Case) पर हाईकोर्ट (High Court) ने सख्त रुख अख्तियार किया है. मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल (Madhya Pradesh Nursing Council) को हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि एक दिन में नर्सिंग कॉलेजों (Nursing Colleges) का पूरा ब्यौरा याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराया जाए. इस मामले में मांगी गई जानकारी पेश नहीं करने पर एमपी नर्सिंग काउंसिल को हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार भी लगाई. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा ने मामले में सुनावाई की. कोर्ट ने निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता को एक दिन के भीतर कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी स्टाफ से जुड़े समस्त डिजिटल डेटा उपलब्ध कराए जाएं. मामले पर 22 जुलाई को फिर से सुनवाई होगी.


लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल द्वारा नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में हुए फर्जीवाड़े से संबंधित जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने कोर्ट को बताया कि पिछले निर्देशों के बावजूद नर्सिंग काउंसिल लगातार डेटा देने में आनाकानी कर रही है. नर्सिंग काउंसिल कोर्ट को भ्रमित करने का कार्य कर रही है. मामले में हस्तक्षेप करते हुए 100 से अधिक कॉलेज सदस्य वाली नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने फैकल्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी डेटा दिए जाने पर आपत्ति प्रकट की.


यह भी पढ़ें- MP News: सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ पर भड़के कमलनाथ, कहा- ''मर्यादाओं को तार-तार कर रही है केंद्र सरकार''


याचिकाकर्ता ने किए ये चौंकानेवाले खुलासे


पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के आदेश के पालन में मध्य प्रदेश शासन द्वारा नर्सिंग काउंसिल में रखे हुए प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के समस्त रिकॉर्ड कोर्ट में पेश किए गए. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को रिकॉर्ड के निरीक्षण की अनुमति दी थी. संपूर्ण रिकॉर्ड के निरीक्षण के बाद विशाल बघेल ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की. याचिकाकर्ता ने कहा कि निरीक्षण रिपोर्ट में कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट में 80 कॉलेजों की सूची भी पेश की गई है, जिसमें प्राचार्य और अन्य शैक्षणिक स्टाफ को एक ही समय में एक से अधिक संस्थाओं में कार्यरत दर्शाया गया है. ऐसे अनेक कॉलेजों की फोटो पेश की गई है, जो एक ही भवन में अलग-अलग पाठ्यक्रमों की मान्यता लेकर कॉलेज संचालित कर रहे हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने वर्ष 2020-21 के नर्सिंग कॉलेजों द्वारा ऑनलाइन फॉर्म में भरे गए शैक्षणिक स्टाफ की जानकारी और सॉफ्ट कॉपी में मांगे गए अन्य दस्तावेज पेश किए.


यह भी पढ़ें- MP Crime News: पार्षद का चुनाव हारने के बाद जीते प्रत्याशी के समर्थक को मारा चाकू, नहीं दिया था वोट