Madhya Pradesh News: एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस है. इस दिन जबलपुर (Jabalpur) में सरकारी सिस्टम की उदासीनता से एक और एड्स रोगी बढ़ जाएगा. जबलपुर के एक युवक ने एक दिसंबर को खुद को एड्स रोगी बनाने की घोषणा की है. युवक ने यह सूचना जबलपुर कलेक्टर, एसपी, मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और गढ़ा थाने में भी दी है.
दरअसल, जबलपुर निवासी बाल्मीकि शुक्ला के पिता की मौत एड्स के कारण हुई थी. इसके बाद उसकी मां भी एचआईवी पॉजिटिव (HIV+) हो गईं. वह साल 2004 से पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रहा है, पर उसे पात्रता के बावजूद नौकरी नहीं मिली. अब उसने सरकारी सिस्टम से परेशान होकर अपने आपको विश्व एड्स दिवस के दिन एचआईवी पॉजिटिव कर लेने की चेतावनी दी है. बाल्मीकि शुक्ला के मुताबिक उसके पिता जबलपुर मेडिकल कॉलेज में चौकीदार के पद पर पदस्थ थे. इसी दौरान 2004 में उनकी मौत हो गई.
पिता के बाद मां भी एचआईवी पॉजिटिव
वहीं मेडिकल जांच में पता चला कि मृतक चौकीदार एचआईवी पॉजिटिव थे. बाल्मीकि ने बताया कि पिता कि मौत के बाद घर संभालने का पूरा भार उस पर ही आ गया. पिता की मौत के बाद पता चला कि उसकी मां भी एचआईवी पॉजिटिव हैं, जिनका उपचार वह एआरटी सेंटर जबलपुर मेडिकल कॉलेज में करवा रहा है. घर पर मां के अलावा पत्नी, एक बेटी और छोटा भाई भी है. अभी वह और उसका छोटा भाई प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं.
2004 में हुई पिता की मौत
मानवीय आधार पर पिता की मौत के बाद बाल्मीकि शुक्ला ने मेडिकल कॉलेज में विशेष अनुकंपा नियुक्ति के लिए प्रकरण राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा, लेकिन उसे निरस्त कर दिया गया. पीड़ित युवक ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में सेवा करते-करते 1995 में पिता एचआईवी पॉजिटिव हो गए और 2004 में उनकी मौत हो गई. पिता की मौत के बाद मां और परिवार के भरण पोषण के लिए अनुकंपा नियुक्ति जरूरी है.
कई कोशिशों के बाद भी नहीं हुई नियुक्ति
पीड़ित युवक बाल्मीकि शुक्ला ने विशेष अनुकंपा नियुक्ति के लिए तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरद जैन से मुलाकात की थी, लेकिन उनसे भी मदद नहीं मिली. पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस विधायक तरुण भनोत ने भी मंत्री विश्वास सारंग को पत्र लिखकर उसकी मदद की गुजारिश की. बाल्मीकि शुक्ला के मुताबिक वर्तमान में भोपाल में डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन (DME) ऑफिस से प्रकरण अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा को भेजा गया है, लेकिन कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पाई. अब सिस्टम से निराश होकर उसने 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के दिन खुद को एचआईवी पॉजिटिव करने का ऐलान कर हड़कंप मचा दिया है.
क्या कहते हैं आंकड़ें
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) ने मध्य प्रदेश के एक्टिविस्ट चंद्र शेखर गौर की आरटीआई के जवाब में बताया है कि साल 2011 से 2021 के बीच देशभर में 17 लाख 8 हजार 777 लोग एचआईवी संक्रमित हुए हैं. बीते 10 साल में एचआईवी के सबसे ज्यादा मामले आंध्र प्रदेश में सामने आए हैं. यहां 3.18 लाख लोग संक्रमित हुए हैं. दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जहां 2.84 लाख संक्रमित सामने आए हैं. इसके बाद कर्नाटक 2.12 लाख, तमिलनाडु 1.16 लाख, उत्तर प्रदेश 1.10 लाख और गुजरात 87,440 मामले सामने आए हैं. हालांकि, साल दर साल एचआईवी से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है.
असुरक्षित यौन संबंध की वजह से 2011-12 में 2.4 लाख एचआईवी संक्रमित हुए थे, जिनकी संख्या 2020-21 में घटकर 85,268 हो गई. एनएसीओ ने बताया कि 10 साल में 15 हजार 782 लोग संक्रमित खून के जरिए एचआईवी संक्रमित हुए हैं. जबकि, 4 हजार 423 बच्चे मां के जरिए संक्रमित हुए हैं. 2020 तक देश में 23.18 लाख से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो एचआईवी के संक्रमण से जूझ रहे हैं, जिनमें 81 हजार 430 बच्चे भी शामिल हैं.