Jabalpur Hospital Scam: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्लैगशिप योजना 'आयुष्मान भारत योजना' में जबलपुर के एक निजी अस्पताल ने फर्जीवाड़ा करके सरकार को साढ़े बारह करोड़ का चूना लगाया है. इस अस्पताल ने मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म की तरह चार हजार मरीजों को होटल में भर्ती करके फर्जी इलाज किया और सरकारी खजाने में जमकर डाका डाला. अस्पताल ने कथित मरीजों के साथ उन्हें लाने वालों तक को कमीशन बांटा था.


बता दें कि जबलपुर पुलिस की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर विगत 26 अगस्त को सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में छापा मारा था. उस समय अस्पताल के अलावा बाजू में होटल वेगा में भी छापा मारा गया था. जांच के दौरान होटल वेगा और अस्पताल में आयुष्मान कार्डधारी मरीज भर्ती पाए गए थे. अस्पताल संचालक दुहिता पाठक और उसके पति डा.अश्विनी कुमार पाठक ने कई लोगों को फर्जी मरीज बनाकर यहां रखा था. होटल के कमरे में तीन-तीन लोग भर्ती पाए गए थे. इसके बाद पुलिस ने डॉक्टर दंपत्ति के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था और वर्तमान में दोनों जेल में बंद हैं.


इस मामले में एसआईटी जांच कर रही है, जिसमें रोज नए खुलासे हो रहे है. एसआईटी जांच में यह खुलासा हुआ है कि बीते एक साल में आयुष्मान भारत योजना के तहत सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल में दो से ढाई साल में लगभग चार हजार मरीजों का इलाज हुआ था जिसके एवज में सरकार द्वारा तकरीबन साढ़े बारह करोड़ रुपये का भुगतान अस्पताल को किया गया था.इसके साथ ही इस बात के भी दस्तावेज मिले हैं कि दूसरे राज्यों के मरीजों का उपचार भी सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में हुआ था जो के गैरकानूनी है.


एसआईटी की चार टीमों का किया गया गठन


इस मामले में जांच के लिए गठित की गई एसआईटी में चार अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है. इन सभी टीमों को जांच के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. सूत्रों के मुताबिक टीम ने करीब दो हजार ऐसे मरीजों को चिन्हित कर लिया है, जिनके बिल दस हजार रुपये से अधिक हैं. इसके साथ ही सायबर सेल की मदद से अस्पताल से जब्त कंप्यूटर से डिलीट किया हुआ डाटा भी रिकवर कर लिया गया है.


हॉस्पिटल के कर्मचारियों को मिलता था कमीशन


एसआईटी ने सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों ने पूछताछ की. जिसमें कई कर्मचारियों ने बताया कि वह अस्पताल में आयुष्मान हितग्राही को भर्ती करवाते थे तो अस्पताल संचालक दुहिता पाठक और उनके पति डॉ अश्विनी पाठक बतौर कमीशन पांच हजार रुपये देते थे. कमीशन लेने के लिए कर्मचारियों ने कई बार एक ही परिवार के लोगों को अलग-अलग तारीख में भर्ती किया था. उनके नाम पर अस्पताल द्वारा आयुष्मान योजना का फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपये की वसूली की गई. इन कर्मचारियों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं.


एसआईटी को दिया गया मरीजों का डाटा


क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाएं डॉ संजय मिश्रा के मुताबिक एसआईटी ने स्वास्थ्य विभाग के मार्फत आयुष्मान भारत योजना के भोपाल कार्यालय से सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल के मरीजों का डाटा मांगा गया था. यह डाटा एसआईटी को उपलब्ध करा दिया गया है, जिसमें हर मरीज का विवरण है. अब आगे की कार्रवाई एसआईटी द्वारा की जाएगी.


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