MP Politics News: 2023 में ज्योतिरादित्य सिंधिया या शिवराज सिंह चौहान? जानिए- क्या हो सकता है BJP का सियासी दांव
MP News: वर्तमान में शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के 30 मंत्रियों में सिंधिया समर्थक 9 मंत्री शामिल हैं. इस प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में दबदबे को साफ आंका जा सकता है.
Madhya Pradesh News: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जब तक कांग्रेस में रहे तब तक वे शिवराज सरकार के लिए हमेशा परेशानी खड़ी करते रहे, लेकिन अब बीजेपी में आने के बाद भी ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने विकल्प के रूप में देखे जा रहे हैं. मिशन 2023 की सफलता के लिए बीजेपी कई बड़े बदलाव करने जा रही है. इन सबके बीच सिंधिया समर्थकों की दबी जुबान से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व को लेकर आवाज उठाई जा रही है. मिशन 2023 की सफलता के लिए भारतीय जनता पार्टी गुजरात के फार्मूले पर काम करने की बात कह रही है. इसी बीच यह भी सवाल खड़ा हो रहा है कि मिशन 2023 किसके नेतृत्व में पूरा किया जाएगा?
हालांकि, अभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर पार्टी का पूरा फोकस है. मगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विकल्प के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे ऊपर आ रहा है. यह नाम इसलिए भी लिया जा रहा है क्योंकि 2018 विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से ही मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार की वापसी हुई. ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर ही नहीं बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में महाराज के रूप में बोले और पहचाने जाते हैं. विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी ने पूरा फोकस ज्योतिरादित्य सिंधिया पर किया था. ज्योतिरादित्य सिंधिया से सीधा मुकाबला तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी माना था.
केंद्रीय नेतृत्व ने तय किया था मध्य प्रदेश का सीएम
यही वजह रही कि उस समय बीजेपी की ओर से प्रचार-प्रसार करते समय यहां तक लिखा गया कि "माफ करो महाराज, हमारे नेता शिवराज" लेकिन महाराज के बीजेपी में आने के बाद अब स्लोगन थोड़ा बदलता हुआ जरूर दिखाई दे रहा है. वरिष्ठ पत्रकार संदीप वत्स के मुताबिक अभी देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कोई विकल्प नहीं है. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ही चुनाव होना है. अगर इतिहास देखा जाए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय नेतृत्व के आदेश पर ही मध्य प्रदेश की कमान संभाली थी, उस समय शिवराज सिंह चौहान सांसद थे. वे पहले मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष बने, इसके बाद विधायक दल का नेता बनकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कुर्सी संभाली.
सिंधिया के कमान संभालने से फायदे और नुकसान
अब दोनों महत्वपूर्ण पदों पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की दावेदारी मानी जा रही है. वर्तमान में शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के 30 मंत्रियों में सिंधिया समर्थक 9 मंत्री शामिल हैं. इस प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में दबदबे को साफ आंका जा सकता है. बीजेपी अगर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को कमान सौंपती है तो कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. केंद्रीय मंत्री कांग्रेस की हर छोटी-बड़ी सियासी चाल से अच्छी तरह वाकिफ हैं. इसके अलावा देश भर में यह भी संदेश जाएगा कि बीजेपी योग्य जनप्रतिनिधियों को हमेशा आगे बढ़ाती है, भले ही वे विपक्षी दल से इस्तीफा देकर ही क्यों न आए हों. इससे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले नेताओं का उत्साह बढ़ेगा.
शिवराज के नेतृत्व के फायदे और नुकसान
अगर सिंधिया को आगे बढ़ाने से होने वाले नुकसान की बात की जाए बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेता अपनी आपत्ति भी दर्ज करा सकते हैं. बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद की दौड़ में पहली और दूसरी पंक्ति के दर्जनभर नेता शामिल हैं, वे भी विद्रोह कर सकते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मिशन 2023 की कमान सौंपने से कई फायदे हैं. वे पूरे मध्य प्रदेश में जनता और नेताओं के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं. उन्हें चुनाव की रणनीति भी बनाना काफी अच्छी तरह आती है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का खुद अपना वोट बैंक भी है. मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ने से कुछ नुकसान भी है. वे लंबे समय से सीएम के पद को संभाल रहे हैं ऐसे में एंटी इनकंबेंसी के कारण बीजेपी को नुकसान भी हो सकता है.