Bhopal: करणी सेना के आंदोलन से प्रभावित दलित युवा, 340 km का सफर पैदल तय कर रतलाम से पहुंचा भोपाल
Bhopal News: 3 दिसंबर की दोपहर 3.00 बजे युवक विनोद सुनार्थी ने रतलाम से पैदल सफर शुरू किया और 7 जनवरी को भोपाल पहुंचा. युवक का कहना है कि एट्रोसिटी एक्ट में भी संशोधन होना चाहिए.
Karni Sena Protest: अपनी 22 सूत्रीय मांगों को लेकर राजधानी भोपाल में जारी करणी सेना परिवार के आंदोलन का बुधवार को चौथा दिन है. आंदोलन की खास बात अब यह है कि इसमें दलित युवा भी जुड़ने लगे हैं. व्यवस्थाओं में परिवर्तन और करणी सेना के आंदोलन से प्रभावित होकर एक युवा रतलाम से 340 किलोमीटर का सफर तय कर भोपाल आ पहुंचा. युवक का कहना है कि व्यवस्थाओं में बदलाव होना चाहिए. अब आरक्षण आर्थिक आधार पर मिलना चाहिए. साथ ही, एट्रोसिटी एक्ट में भी बदलाव होना चाहिए. युवक का कहना है कि वह अब तक 100 से अधिक ऐसे मामले में देख चुका है, जिसमें निर्दोश बेवजह फंसे हुए हैं.
बता दें, भोपाल में करणी सेना परिवार के शक्ति प्रदर्शन का बुधवार को चौथा दिन हैं. करणी सेना परिवार के प्रदेश अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर के नेतृत्व में सात लोग भूख हड़ताल पर बैठे हैं. बीती रात मंगलवार को करणी सेना परिवार के सदस्यों ने भेल चौराहा पर ही मोबाइल टॉर्च की रोशनी में सुंदरकांड का पाठ किया. सुरक्षा की दृष्टि से करीब 3000 से ज्यादा पुलिसकर्मी यहां तैनात हैं. बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार और करणी सेना परिवार में आपसी सहमति नहीं बन पाने की वजह से यह आंदोलन जारी है.
इधर मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया सहित अन्य मंत्री दो बार मुलाकात कर चुके हैं. लेकिन बीजेपी के मंत्री और करणी सेना परिवार के बीच सहमति नहीं बन पा रही है. इसके चलते करणी सेना परिवार का आंदोलन जारी है.
दलित युवा किसान भी करणी सेना के साथ
जानकारी के अनुसार, करणी सेना परिवार के आंदोलन को और भी कई समाज का साथ मिल रहा है. ऐसे ही करणी सेना परिवार के आंदोलन से प्रभावित होकर एक दलित युवक रतलाम से 340 किलोमीटर का पैदल ही सफर तय कर भोपाल आ पहुंचा. युवा किसान विनोद सुनार्थी ने बताया कि वह अनुसूचित जाति से आता है और उसका परिवार खेती करता है. 340 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय कर 7 जनवरी को वह भोपाल पहुंचा था.
3 दिसंबर की दोपहर 3.00 बजे युवक ने रतलाम से पैदल सफर शुरू किया. विनोद सुनार्थी ने बताया कि करणी सेना परिवार की 21 सूत्रीय मांगों से प्रभावित है. देश में अब व्यवस्थाओं में बदलाव होना चाहिए. आरक्षण की जो बात हो रही हैए वो इस आधार पर हो रही है कि आरक्षण रहेगा, लेकिन आर्थिक आधार पर. गरीबी जाति देखकर नहीं आती. हर वर्ग में गरीब हैं. जनरल और ओबीसी को भी उनका हक मिलना चाहिए. एससी-एसटी को तो उनका हक मिल ही रहा है.
किसान युवक ने कहा कि एट्रोसिटी एक्ट में भी संशोधन होना चाहिए. उसने करीब 100 मामले ऐसे देखे हैं जहां लोग एट्रोसिटी एक्ट का गलत फायदा उठा रहे हैं. जांच नहीं होती, जो निर्दोष होता है, उसे भी जेल भेज दिया जाता है. इसलिए अब व्यवस्थाओं में बदलाव की बहुत ज्यादा जरूरत है.
'बीजेपी को वोट नहीं देने की अपील'
बता दें, दो दिन पहले ही सोमवार को करणी सेना परिवार के प्रदेश अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर ने राजपूतों से अपील की है कि वे जिंदगी भर बीजेपी को वोट न दें. उन्होंने कहा कि हम भूख हड़ताल कर रहे हैं, ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, 8-10 दिन, 15 दिन या फिर एक महीना. महीने भर बाद तो जान जाएगी सरकार, उसके बाद तो समझ में आएगी. एक बात याद रखना अगर हम मर भी जाएं तो भी उग्र आंदोलन मत करना, क्योंकि हम परिवर्तन लाने के लिए आए हैं. व्यवस्था में परिवर्तन तभी आएगा. हमारे मरने के बाद एक कसम जरूर खाना कि जिंदगी भर बीजेपी को वोट मत करना. क्योंकि यह तानाशाह सरकार है.
जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि हम मर जाएं, इसके बाद ऐसा न हो कि लाश लेकर निकल जाओ और तोड़-फोड़ करने लग जाओ. इस आंदोलन को जीवित रखना है. यदि तुमको लगता है कि जीवन सिंह मरने के बाद भी जिंदा रहना चाहिए, तो शांतिपूर्ण तरीके से यहां बैठकर धरना प्रदर्शन करना, धरने से मत उठना. जो मरेगा उसकी लाश ले जाई जाएगी या जंबूरी मैदान में ही जलाई जाएगी पर तुम लोगों को यहीं बैठना है. उग्र प्रदर्शन नहीं करना है. क्योंकि यह व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई है. उसके लिए बहुत कुर्बानियां देना पड़ेंगी. अगर एक कुर्बानी से पीछे हट गए, डर गए या आक्रोशित होकर तोड़-फोड़ कर दी तो आपका आंदोलन उसी दिन समाप्त हो जाएगा और आपने जितनी मेहनत की है, जितने समाज आपके साथ आए हैं, सारे वहीं के वहीं रह जाएंगे.
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