MP Tiger State: मध्य प्रदेश में बाघों के गणना का चौथे चरण का काम पूरा हो गया. वन विभाग ने टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क और अभ्यारण से एकत्रित डाटा एसएफआरआइ के माध्यम से भारतीय वन्यजीव संस्था देहरादून (Dehradun) को भेज दिया. जहां संस्थान के विज्ञानी डाटा, बाघों के फोटो और सैटेलाइट फोटो का मिलान करेंगे.


हालांकि इस कार्य में तीन महीने से ज्यादा समय लगेगा, मार्च महीने तक परिणाम सामने आएंगे. इसके बाद ही तय होगा कि मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रहेगा या छिन जाएगा.


नवंबर 2021 से शुरू हुई गिनती


वन विभाग अफसरों के मुताबिक साल 2021 के नवंबर महीने से मध्य प्रदेश में बाघों के गणना का कार्य शुरू किया गया था. इसका तीसरा चरण अप्रैल 2022 में पूरा हुआ था. इसके बाद चौथे चरण की शुरूआत की गई थी. बाघों की गणना के लिए वन विभाग ने पार्कों में ट्रैप कैमरे लगाकर बाघों की आवाजाही कैद की थी. यह कार्य सितंबर महीने तक अलग-अलग पार्कों में चला.


कुनबे में इजाफे का अनुमान


वनविभाग के अफसरों की मानें तो इस गणना में बाघों के कुनबे में इजाफा होने का अनुमान लगाया जा रहा है. लगभग डेढ सौ बाघ बढने की संभावना है. साल 2018 में हुई गणना के दौरान प्रदेश में 526 बाघ थे. अगर इन बाघों की संख्या में इजाफा हुआ तो यह संख्या 700 के पार पहुंच जाएगा.


बाघों के मामले में दूसरे नंबर पर कर्नाटक है जहां 2018 की गणना के दौरान 524 बाघ थे. मार्च महीने में आने वाले परिणामों में अगर एमपी कर्नाटक से आगे आता है तो मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रहेगा.


बाघों के शरीर की धारियों से मिलान


वन विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक बाघों की गणना जंगल में एक तय स्थान पर ट्रांजिट लाइन खींचकर की जाती है. सुबह से शाम तक इस लाइन से गुजरने वाले जानवरों की गिनती के आधार पर रिपोर्ट तैयार होती है. सैटेलाइट इमेज ट्रैप कैमरे से ली गई फोटो और जंगल से लिए गए डाटा का मिलान किया जाता है. भारतीय वन्यजीव संस्थान अलग-अलग फोटो में बाघ के शरीर की धारियों का मिलान कर तय करते हैं कि एक ही बाघ है या अलग-अलग बाघ है.


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