Katni News: कटनी जिले में एक दिन के लिए कलेक्टर बनेगी दिव्यांग सुदामा चक्रवर्ती, पढ़ें उनके हौसले की कहानी
कटनी की दिव्यांग बालिका सुदामा चक्रवर्ती एक दिन के लिए कटनी की डीएम बनेगी. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ब्लाइंड जूड़ो में कई मेडल जीते हैं.
Jabalpur News: आज हम आपको दिल को छू लेने वाली खबर बताने जा रहे है. एक दिव्यांग बालिका मध्यप्रदेश के कटनी जिले की कलेक्टर बनेगी.दोनों आंखो से नहीं दिखने के बाद भी ब्लाइंड जूडो में राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में मैडल जीतने वाली सुदामा चक्रवर्ती की कहानी सुनकर उनके हौसले को सलाम करने का जी चाहता है.
पिता करते हैं मजदूरी
बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा सुदामा चक्रवर्ती बताती हैं कि तीन भाई और दो बहनों में वे सबसे छोटी हैं. पिता छोटेलाल ने मजदूरी कर पालन पोषण किया है. मां सुम्मी बाई घर का काम करती है.पहली कक्षा में जब भाई के साथ प्रवेश लेने गई तो शिक्षक ने यह कहकर लौटा दिया कि देख नहीं पाती तो पढ़ेगी कैसे. फिर भी सुदामा ने पढ़ने की जिद नहीं छोड़ी तो अगले साल स्कूल में प्रवेश लिया.सुदामा चक्रवर्ती शासकीय उच्चतर माध्यमिक महात्मा गांधी स्कूल से कक्षा 12वीं पास कर वर्तमान में श्याम सुंदर अग्रवाल महाविद्यालय सिहोरा में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं. उन्होंने जूड़ो का प्रशिक्षण तरुण संस्कार संस्था से प्राप्त किया है.वे अपनी स्नातक की पढ़ाई के साथ जूड़ो का निरंतर अभ्यास पड़वार स्टेडियम स्लीमनाबाद स्थित प्रशिक्षण केन्द्र में कर रही हैं.
कटनी जिले की सुदामा चक्रवर्ती के जज्बे पर जर्मनी में फिल्म भी बन रही है.इसी साल जनवरी के अंतिम सप्ताह में फिल्म बनाने जर्मनी से एक टीम कटनी आई थी.आदिवासी बाहुल्य ढीमरखेड़ा विकासखंड के दशरमन गांव में रहने वाली सुदामा का उदाहरण देकर बेटियों को यह संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि जीवन में किसी कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती.जज्बा हो तो हर चुनौती से पर पाया जा सकता है.
जीतें है कई मेडल
2017 में गुड़गांव दिल्ली में आयोजित पाचवें राष्ट्रीय जूडो प्रतियोगिता में सुदामा ने जीते स्वर्ण पदक मिला था.
2018 में राष्ट्रीय ब्लाइंड जूडो प्रतियोगिता में कांस्य पदक प्राप्त किया.
2021 में लखनऊ में आयोजित ब्लाइंड जूडो प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था.
सुदामा चक्रवर्ती का कहना है कि,मैं चाहती हूं कि लोग बेटियों को बेटा समझें.हमे यह समझना होगा कि रानी लक्ष्मीबाई कैसे अकेले अंग्रेजों मुकाबला करने मैदान में उतर गई थीं.जूडो खेल मुझे इसलिए पसंद है क्योंकि इसमें आत्मरक्षा की सीख भी होती है जो महिलाओं के लिए जरूरी है.
अब सुनें सुदामा के कलेक्टर बनने की कहानी.खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन और नेत्र दिव्यांगता को आड़े नहीं आने देने वाली सुदामा चक्रवर्ती 8 मार्च को अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक दिन की सांकेतिक कलेक्टर बनेंगी.कटनी कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने कहा कि ऐसे प्रयासों का उद्देश्य यह बताना है कि महिलाएं हर चुनौती का सामना करने के लिए सक्षम हैं.हम महिलाओं को सम्मान देने के लिए विशिष्ट प्रतिभा वाली सुदामा को चुना है,जो एक दिन के लिए कलेक्टर बनकर हम सब को गौरवान्वित करेगी.
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