Petrol-Diesel Price Cut: पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी आने से देशभर के लोगों ने राहत की सांस ली है. महंगाई का पारा भी नीचे उतरने की संभावना जताई जा रही है. इन सबके बीच पेट्रोल पंप संचालकों को लगभग 2000 करोड का नुकसान हुआ है. इस संबंध में पेट्रोल पंप एसोसिएशन द्वारा देशभर के व्यापारियों की बैठक बुलाई गई है. बैठक के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी.
पेट्रोल पंप संचालकों को हुआ बड़ा नुकसान
केंद्र सरकार ने महंगाई की दर कम करने के उद्देश्य से पेट्रोल और डीजल को लेकर बड़ी राहत पहुंचाई है. जहां पर टोल पर साढ़े ₹9 कम हुए हैं वही डीजल पर सवा 7 रुपये तक कम हुए हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में पेट्रोल और डीजल के दामों में थोड़ा अंतर जरूर हो सकता है मगर पेट्रोल के दाम देशभर में कम हुए हैं. मोदी सरकार ने दूसरी बार एक साथ ईंधन के दामों में इतनी बड़ी कटौती की है.
पूर्व में 2021 में दीपावली पर्व के आसपास मोदी सरकार की ओर से दाम कम कर तोहफा दिया गया था. इसके बाद एक बार फिर महंगाई को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है, लेकिन यह कदम पेट्रोल पंप संचालकों को भारी पड़ रहा है. ऑल इंडिया पेट्रोल पंप एसोसिएशन के सचिव गोपाल माहेश्वरी ने बताया कि पेट्रोल और डीजल के दाम कम होने से पूरे भारत में 65000 पेट्रोल पंप संचालकों को लगभग 2000 करोड रुपए का नुकसान हुआ है. पेट्रोल पंप संचालकों ने सरकार से महंगे दामों पर डीजल और पेट्रोल खरीदा है जो कि अब उन्हें कम दामों पर जनता को बेचना पड़ रहा है. इसे लेकर ऑल इंडिया पेट्रोल पंप एसोसिएशन आज आंदोलन की रणनीति तय करेगी
जब दाम बढ़ते हैं तब उतना लाभ नहीं होता
सचिव गोपाल महेश्वरी ने बताया कि जब पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए जाते हैं, उस समय पंप संचालकों को थोड़ा फायदा जरूर होता है लेकिन उतना फायदा नहीं होता है जितना दाम कम होने पर नुकसान भुगतना पड़ता है. पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने पर बढ़ी हुई कीमतों पर इनकम टैक्स और वैट टैक्स देना पड़ता है जबकि टैक्स चुका कर खरीदे गए पेट्रोल और डीजल का जब सरकार टैक्स कम कर देती है तो उतने घाटे में आम उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल मुहैया कराना पड़ता है.
पंप संचालकों ने कहा- हम भी जनता में शामिल
पेट्रोल पंप संचालक रवि लोहिया के मुताबिक सरकार आम लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए अच्छा कदम उठा रही है लेकिन पेट्रोल पंप व्यवसाई भी आम जनता में शामिल है. देशभर में 10 लाख से ज्यादा लोग पेट्रोल पंप से जुड़े हुए हैं. ऐसी स्थिति में सरकार को ईंधन के दाम धीरे-धीरे घटाना चाहिए. टैक्स में एक साथ इतनी कटौती सभी पंप संचालकों को भारी पड़ रही है.
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