Indore Vaccination Problem News: इंदौर में जिला प्रशासन द्वारा कोविड टीकाकरण महाअभियान के तहत वैक्सीन के दूसरे डोज को लगवाने के लिए डेडलाइन 30 नवंबर तक की तय कर दी है, जिसके बाद उन लोगों को तमाम प्रतिबंध झेलने पड़ सकते है जिन्होंने दूसरी डोज तय तारीख तक नहीं लगवाई. अब न तो ऐसे लोगो को दूध मिलेगा और ना ही उचित मूल्य की दुकान से राशन, साथ ही बस में यात्रा और मॉल सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंध रहेंगे.
हालांकि, प्रशासन के प्रयासों की सराहना इंदौर के सभी संगठन कर रहे है लेकिन प्रशासन की तय तारीख के पहले एक ऐसा मामला सामने आया है जो किसी बड़ी मुश्किल से कम नही है. दरअसल, टीकाकरण टीम की तकनीकी गलती की वजह से आम लोग परेशान हो रहे है जिसका जिम्मेदारों के पास कोई जबाव भी नहीं है.
क्या है समस्या
बता दे कि इंदौर में प्रशासन द्वारा कोविड वैक्सीन के दूसरे डोज को लगवाने को लेकर सख्ती बरती जा रही है वहीं स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. हुआ यूं कि प्रशांत पटेल नामक प्रोफेसर द्वारा अगस्त माह में वैक्सीन कि पहली डोज लगवाई गई थी, उस दौरान उन्होंने अपने आधार कार्ड सहित मोबाइल नम्बर की डिटेल 15 नम्बर झोन टीकाकरण से जुड़े अधिकारियों को दी थी. तब उन कर्मचारियों ने कोविन एप्लीकेशन में गलत नम्बर डाल दिया. अब प्रोफेसर प्रशांत के साथ परेशानी ये है कि वो वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने के लिए वैक्सीनेशन सेंटर तो पहुंच रहे है लेकिन उनका मोबाइल नम्बर सिस्टम में मैच नहीं कर रहा है, लिहाजा उन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं लगाई जा रही है.
इधर, प्रोफेसर प्रशांत स्वास्थ्य विभाग से लेकर अन्य कई प्रशासनिक दफ्तरों में चक्कर काट चुके लेकिन कोई भी जिम्मेदार जबाव देने को तैयार नहीं है.
अब प्रोफेसर प्रशांत पटेल के केस में सबसे बड़ी दिक्कत है कि वो नियमों का पालन कर दूसरी डोज लगवाना चाहते है लेकिन उनकी पहली डोज का रिकॉर्ड गायब है. वहीं यदि वो दोबारा से महज सर्टिफिकेट के लिहाज से पहली डोज लगवाते हैं तो उन्हें नियमों के मुताबिक कोविशील्ड नहीं बल्कि कोवैक्सीन लगवानी होगी और जब वो दूसरी डोज लगवाएंगे तो उनके शरीर मे वैक्सीन कि तीन डोज लग चुकी होगी ऐसे में स्वास्थ्य के लिहाज से साइड इफेक्ट का भी डर बना हुआ है.
हालांकि, ये अकेला मामला नहीं है बल्कि ऐसे कई केस हैं जिनमें वैक्सीन की दूसरी डोज को लेकर लोगों को तकनीकी और मानवीय गलती के कारण परेशानी आ रही है, लेकिन अब तक इसे लेकर इंदौर में प्रशासन किसी हल तक नहीं पहुंच पाया है. वहीं ऐसे ही हाल प्रदेश के अन्य जिलों में भी हैं.
सीएमएचओ से की बात तो मिला ये जवाब
इस मामले में पीड़ित प्रोफेसर की तो कहीं सुनवाई नही हो रही थी लेकिन एबीपी डिजिटल की टीम ने जब इंदौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एस. सैत्या से बात की तो उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों और वैक्सीनेशन टीम का बचाव करते हुए उल्टा लोगों द्वारा गलत नम्बर दिए जाने की बात कही. हालांकि, प्रोफेसर के टीकाकरण मामले के साथ ही अन्य लोगो के मामले में डॉ. सैत्या ने कहा कि ऐसे लोगों को दूसरा डोज हुकुमचंद पाली क्लिनिक पर लगाया जाएगा.
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