MP Politics: मध्य प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने नगरीय निकाय और ग्राम पंचायत जनपद व जिला पंचायत चुनावों क बाद सख्त लहजे में कहा कि था कि निकाय व पंचायतों में महिला सरपंच व महिला अध्यक्ष ही अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करेंगी. अगर महिलाओं के स्थान पर उनके पति हस्तक्षेप करते हैं, तो ऐसी महिला जनप्रतिनिधियों को पद से पृथक कर दिया जाएगा. हालांकि, सीहोर जिले में सीएम की यह मंशा साकार नहीं हो सकी. 


मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक सीहोर जिले की नौ नगरीय निकायों में से आठ पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि एक पर कांग्रेस विराजमान है. सीहोर नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में प्रिंस राठौर हैं, जबकि आष्टा आष्टा हेम कुंवर रायसिंह मेवाड़ा, कोठरी नगीना राधेश्याम दलपति कांग्रेस, जावर मंजू वैद्य, नसरुल्लागंज मारुति शिशिर, बुदनी सुनीता अर्जुन मालवीय, इछावर देवेन्द्र वर्मा, रेहटी राजेन्द्र पटेल व शाहगंज में सोनम भार्गव अध्यक्ष हैं.


गृह जिले में ही चेतावनी बेअसर
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए यह चेतावनी पूरे प्रदेश के लिए दी थी. हालांकि, उनकी इस चेतावनी का असर सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में ही देखने को नहीं मिल रहा है. यहां महिला सरपंच जनपद अध्यक्ष और नगरीय निकायों में अध्यक्ष पद पर आसीन हुई महिलाओं के पति और भाई उनकी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं.


विधायक सांसदों ने बनाए प्रतिनिधि
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सख्त हिदायतों के बाद भी महिला सरपंच अध्यक्षों के पतियों ने प्रतिनिधि बनकर इन कार्यालयों में दस्तक के साथ ही हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है. आष्टा नगर पालिका अध्यक्ष हेमकुंवर मेवाड़ा के स्थान पर उनके पति रायसिंह मेवाड़ा कामकाज संभाल रहे हैं. रायसिंह मेवाड़ा विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय के प्रतिनिधि हैं. इसी तरह अभी बीते दिनों बुदनी नगर पंचायत अध्यक्ष सुनीता मालवीय के पति अर्जुन मालवीय को विदिशा सांसद रमाकांत भार्गव ने अपना प्रतिनिधि बनाया है. जबकि, जावर नगर परिषद में मंजू वैद्य के भाई मनोज वैद्य अपने आपको देवास सांसद महेन्द्र सिंह सोलंकी का प्रतिनिधि बताते हैं. 


दफ्तर से लेकर फील्ड तक सक्रिय
सीहोर जिले में हाल यह है कि महिलाएं जनप्रतिनिधि बनने के बाद वापस अपनी घर गृहस्थी और चौके-चूल्हे के काम में व्यस्त हो गई हैं. आलम यह है कि महिला जनप्रतिनिधियों के पति ग्राम पंचायत कार्यालय और नगर पालिका-पंचायतों में दफ्तर से लेकर फील्ड तक काम संभाल रहे हैं. महिला जनप्रतिनिधियों के पतियों को दफ्तर में अधिकारी-कर्मचारियों को निर्देश देते सुना जा रहा है, तो वहीं फील्ड में भी महिला जनप्रतिनिधियों के पति और भाई ही निर्माण कार्यों के भूमिपूजन आदि कर रहे हैं.


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