Drone Use in Farming: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कटनी (Katni) में ड्रोन (Drone) के जरिये नैनो यूरिया (Nano Urea) का छिड़काव किया गया. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने इसे देश की ऐसी पहली घटना बताया है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर लिखा, ''अमृत पुष्पक परियोजना के माध्यम से मध्य प्रदेश के कटनी जिले के ग्राम तेवरी, भेड़ा, लिगरी और बिछिया की लगभग 133 एकड़ क्षेत्र में ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव, एक अभिनव पहल है. ऐसा करने वाला कटनी जिला देश का पहला जिला बन गया है. इस उपलब्धि के लिए कटनी जिले के कलेक्टर श्री प्रियांक मिश्रा जी, उनकी पूरी टीम व इफको की पूरी टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.'' 


क्या निर्देश दिए हैं प्रदेश सरकार ने


मध्य प्रदेश सरकार ने सभी जिलों में खेती में ड्रोन प्रयोग करने संबंधी निर्देश दिए हैं. कटनी के कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने इस पर त्वरित रूप से अमल करते हुए ड्रोन तकनीक के माध्यम से फसलों में कीटनाशक और उर्वरक के छिड़काव का निर्णय लिया. जिला ई-गवर्नेंस सोसाइटी कटनी द्वारा ड्रोन तकनीक के माध्यम से किसानों की फसलों में कीटनाशक और उर्वरक के छिड़काव के लिए प्रस्ताव भेजा गया. अनुमति मिलने के बाद पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस काम को शुरू किया गया.


कलेक्टर समेत ये लोग रहे कार्यक्रम में मौजूद


तेवरी गांव पहुंचकर कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने स्वयं ड्रोन से तरल नैनो यूरिया के छिड़काव कार्य का जायजा लिया. साथ ही उन्होंने कृषकों से चर्चा कर इस संबंध में जानकारी भी दी. इस दौरान उप संचालक एके राठौर, जिला प्रबंधक ई गवर्नेंस सोसाइटी सौरभ नामदेव, इफको के जनरल मैनेजर बहादुर राम, प्रखर सॉफ्टवेयर से प्रदीप नामदेव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर आत्मा केएल कोष्टा और कृषि वैज्ञानिक और कृषक उपस्थित रहे.


ये ड्रोन की खूबियां


ई-गवर्नेंस सोसाईटी के जिला प्रबंधक सौरभ नामदेव ने कृषकों को बताया कि छिड़काव के लिए हेक्साकोप्टर ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है, जिसकी भारवाहक क्षमता 12 लीटर की है. यह एक एकड़ की फसल के रकबे में महज 10 मिनट में रसायन स्प्रे का काम पूरा कर सकता है. ड्रोन 250 पार्टिकल प्रति इंच छिड़काव की क्षमता रखता है, जो परम्परागत छिड़काव पद्धति से कई गुना अधिक है. इससे नैनो यूरिया की खपत भी कम होगी, साथ ही पौधे की पत्तियों द्वारा यूरिया का पूर्ण अवशोषण भी होगा. ड्रोन में ऑटो पायलट मोड भी उपलब्ध है, जिससे खेत के क्षेत्रफल को मैप में पहले से दर्ज कर छिड़काव किया जा सकता है.


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नैनो यूरिया से कैसे होगा फायदा


कहा जा रहा है कि तरल नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया का एक सशक्त विकल्प बनकर उभरा है. तरल नैनो यूरिया का इस्तेमाल करने से किसानों को आर्थिक बचत होगी और उत्पादकता बढ़ेगी. साथ ही देश की यूरिया आयात पर निर्भरता घटेगी. तरल यूरिया देश में ही निर्मित हो रही है. तरल यूरिया का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बताया जाता है.


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