MP News: बीते 3 साल से यह देखा जा रहा है कि मध्य प्रदेश में हर दूसरे दिन एक बच्चे को उसके माता-पिता अनाथ होने के लिए छोड़ देते हैं. नेशनल क्राइम ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, इन तीन वर्षों में (2019 से 2021 तक) कुल 532 ऐसे केसेस रजिस्टर हुए हैं, जिनमें मां-बाप द्वारा बच्चों को छोड़ दिया गया है.


8 महीने का मासूम श्मशान के पास मिला
हाल ही में, बीते मंगलवार को राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ में बने श्मशान के पास एक 8 महीने का मासूम मिला, जिसकी हालत बेहद नाजुक थी. स्थानीय लोगों ने पुलिस को इसकी सूचना दी और तुरंत ही बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया. दुख की बात यह है कि बच्चे की जान नहीं बचाई जा सकी. अस्पताल पहुंचने से पहले ही मासूम ने दम तोड़ दिया और डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया.


यह भी पढ़ें: Jabalpur: जबलपुर जिला अस्पताल का अकाउंटेंट रिश्वत लेते गिरफ्तार, एक महीने में लोकायुक्त की दूसरी कार्रवाई


एमपी में बच्चों को छोड़े जाने के आंकड़े हैरान करने वाले
NCRB के अनुसार, 2019 से 2021 तक देशभर में बच्चों को अनाथ छोड़े जाने के कुल 2352 मामले दर्ज हुए, जिनमें 22 प्रतिशत मध्य प्रदेश से ही हैं. साल 2019 में 896 ऐसे मामलों में से 187 एमपी के थे. वहीं, साल 2020 में भी एमपी का आंकड़ा भारत में सबसे ज्यादा था. 747 केसेस में से 186 मामले इसी राज्य में रजिस्टर किए गए थे. 


2021 में भी मध्य प्रदेश का रेट सबसे ज्यादा
इतना ही नहीं, एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में भी बच्चों को अकेला छोड़ने के सबसे ज्यादा मामले मध्य प्रदेश से ही आए, जहां कुल 709 केसेस में से 159 मामले यहां के निकले. 


आए दिन जाती हैं मासूमों की जान
आपको बता दें, शर्मसार करने वाली ये घटनाएं केवल एमपी में नहीं, बल्कि देश के हर राज्य में हो रही हैं. कभी गरीबी से परेशान माता-पिता बच्चे को मंदिर की सीढ़ियों पर छोड़ जाते हैं, तो कभी लोक लाज के डर से बच्चों को कचरे या नाली में फेंक दिया जाता है. वहीं, आज भी कुछ परिवार ऐसे हैं, जो बच्चियों को जीने नहीं देते. लड़के की आस में बैठे ये परिवार, बेटी होने पर उसे दर्दनाक मौत देने से भी नहीं कतराते. हैरानी की बात यह है कि ये सभी क्राइम रजिस्टर तो होते हैं, लेकिन कई बार अपराधियों का पता नहीं चल पाता.