MP News: मध्य प्रदेश में प्रवेशोत्सव कार्यक्रम की पोल खुली है. 355 सरकारी स्कूलों में एक भी बच्चे का एडमिशन नहीं हुआ. बच्चों के एडमिशन से दूरी बनाने का खामियाजा टीचरों को उठाना पड़ा. 35 जिलों के टीचरों का दूसरे स्कूलों में ट्रांसफर कर दिया गया है. हटाये गये टीचरों को दूसरे स्कूल का चुनाव करने के लिए एक दिन की मोहलत दी गई थी. आज जिला स्तर पर हाजिरी देने के लिए बुलाया गया था. बता दें कि प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में मंत्री-विधायक, कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों की शिरकत सुनिश्चित बनाई गयी थी.


तमाम कवायद के बावजूद 323 प्राइमरी और 32 मिडिल स्कूल में एक भी बच्चे ने इस साल एडमिशन नहीं लिया. एडमिशन नहीं लेने वालों की सूची में भोपाल के छह स्कूल शामिल हैं. दो बैरसिया, दो ग्रामीण और दो शहरी क्षेत्र के स्कूलों में एक भी बच्चा एडमिशन लेने नहीं पहुंचा. ऐसे में टीचरों को दूसरे स्कूलों में भेजा जा रहा है. 


सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत देख बनाई दूरी


बताया जा रहा है कि सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत देख अभिभावकों ने बच्चों का एडमिशन कराने में रुचि नहीं दिखाई. कई स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं. कई स्कूलों के पास खुद की बिल्डिंग नहीं है. विदिशा जिले के लटेरी तहसील का उदाहरण सामने है. मदनपुर गांव का प्राथमिक स्कूल पेड़ के नीचे लगता है. बारिश के दिनों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. बासु गांव का प्राथमिक स्कूल प्रधानमंत्री आवास में संचालित हो रहा है. दो कमरे में पहली से 5वीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं. बीच में एक खिड़की के सहारे टीचर दोनों पार पढ़ाते हैं. सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत देख अभिभावक बच्चों का एडमिशन कराने नहीं पहुंचे. 


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