Bhopal News: एक ओर जहां शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम घोषित हुए लगभग साल बीतने वाला है और कई पास हुए अभ्यर्थी राह ताक रहे हैं. लेकिन सरकार उनकी और अभी तक कोई ध्यान नहीं दे पाई है ना ही शिक्षक भर्ती की विसंगतियां दूर हो सकी हैं. उसी बीच शिक्षा व्यवस्था गांवों में बेहाल है.


हाल यह है कि मध्य प्रदेश के अंदर दो बार ऑनलाइन ट्रांसफर की प्रक्रिया के चलते शिक्षकों के तबादले एक स्थान से दूसरे स्थान पर कर दिए गए हैं. जिससे असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई है. मुख्यालय और शहरों के स्कूलों में पर्याप्त मात्रा में शिक्षक उपलब्ध हैं. वहीं मध्य प्रदेश के 74000 सरकारी स्कूलों में से 6000 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है और 10,000 से ज्यादा ऐसे स्कूल हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में प्रदेश के रिजल्ट सुधारने की कवायदे कहां तक सफल होंगी यह तो सोचने वाली बात है.


एक टीचर के भरोसे 10 हजार से ज्यादा स्कूल
शिक्षा विभाग के शिक्षा पोर्टल के अनुसार अगर आंकड़ों पर गौर करें तो मध्य प्रदेश में स्कूलों की संख्या लगभग 73869 बताई गई है. जिसमें स्वीकृत पदों की संख्या 326866 है और वर्तमान में कार्यरत शिक्षक 217753 जिनके अंदर लगभग 5501 स्कूल शिक्षक हैं और लगभग 10340 स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. ऐसी परिस्थितियों में मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का दावा कर रही सरकार विद्यार्थियों के साथ न्याय करने में पिछड़ती दिखाई दे रही है.


गांवों में ज्यादा बुरे हाल
तबादले में हुए असंतुलन के चलते मध्य प्रदेश के अंदर 39000 स्कूलों के अंदर अतिशेष शिक्षक खाली समय व्यतीत कर रहे हैं. वहीं ग्रामीण अंचल के विद्यालयों में शिक्षक ही नहीं हैं. ऐसे गतिरोध को दूर करने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की है, लेकिन शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से लेकर मंत्री तक चुप्पी साधे हुए हैं.


जब इस पूरे मामले को लेकर हमने आयुक्त लोक शिक्षण संचानालय के अधिकारी अभय वर्मा से चर्चा की तो उन्होंने बताया अतिशेष शिक्षकों की सूची इसलिए जारी की गई है ताकि उन्हें समायोजित किया जा सके. जहां शहरी क्षेत्रों के स्कूल में शिक्षक की भरमार हो गई वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल खाली हो गए हैं इसे ठीक किया जाएगा. वहीं स्थानांतरण नीति के अनुसार जिन शिक्षकों को हटाया गया है उन शिक्षकों की जगह जल्दी नियुक्ति की जाएगी.


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