(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Madhya Pradesh News: इंदौर में 5वें दिन भी जारी है नर्सिंग ऑफिसर की हड़ताल, मरीजों की बढ़ी परेशानी
MP News: हड़ताल का असर इंदौर में एमवाय अस्पताल, जिला अस्पताल, कैंसर हॉस्पिटल, चाचा नेहरू सुपर स्पेशिलिटी, एमआरटीबी हॉस्पिटल, पीसी सेठी, लाल अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है.
Nursing Officers Strike: नर्सिंग ऑफिसर्स की प्रदेशव्यापी हड़ताल से समूचे प्रदेश सहित इंदौर में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा रही है. इंदौर के सरकारी अस्पतालों, डिस्पैच क्लीनिक में काम ठप गया है. सबसे ज्यादा परेशानी डिलिवरी बोर्ड, मेटरनिटी सेवाओं और नवजात बच्चों के स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हड़ताल के कारण मरीजों की कोई केयर नहीं हो रही. नर्सिंग ऑफिसर असोसिएशन पिछले पांच दिनों से 10 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं.
प्रदेशभर का नर्सिंग स्टाफ हड़ताल पर हैं. नर्सिंग एसोसिएशन की मांगों में अन्य प्रदेश की तरह प्रदेश में नर्सिंग ऑफिसर के ग्रेड टू देने, नर्सिंग स्टूडेंट्स का स्टाइपंड 8000 रूपय करने, चिकित्सकों की तरह नर्सिंग ऑफिसर को भी रात्रि कालीन भत्ता देने, नर्सिंग ऑफिसर को तीन से चार वेतनवृद्धि देने, स्वशासी नर्सिंग ऑफिसर को सातवें वेतन आयोग का लाभ देने, पुरानी पेंशन लागू करने सहित अन्य मांगें शामिल हैं.
गर्भवती महिलाओं पर हो रहा है असर
नर्स असोसिएशन ने शुक्रवार (14 जुलाई) को जिला अस्पताल में विरोध प्रदर्शन किया. इस हड़ताल ने ओपीडी, एमर्जेंसी सर्जरी और मैटरनिटी सेवाएं प्रभावित कर दी है. हड़ताल का सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर हो रहा है. हड़ताल का असर इंदौर में एमवाय अस्पताल, जिला अस्पताल, कैंसर हॉस्पिटल, चाचा नेहरू सुपर स्पेशिलिटी, एमआरटीबी हॉस्पिटल, पीसी सेठी, लाल अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है. अस्पताल में भर्ती मरीजों से लेकर डॉक्टर को दिखाने ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी इलाज नहीं मिल पा रहा है.
हड़ताल के कारण व्यवस्थाएं चरमरा गई है
इधर इस हड़ताल के कारण अस्पतालों की व्यवस्थाएं चरमरा गई है. स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में प्रबंधन ने अस्थाई रूप से नर्सों की व्यवस्था तो की है, लेकिन अनुभव की कमी होने से मरीजों की फजीहत हो रही है. ऑफिसर असोसिएशन के आह्वान पर हो रही है इस हड़ताल इंदौर में ही करीब 10,000 नर्सिंग शामिल हैं.
हेल्थ वर्करों को करोना योद्धा माना था
इंदौर में 14 जुलाई को भी एसोसिएशन ने गांधी मेडिकल कॉलेज में अपनी मांगों को लेकर शासन और प्रशासन को यह याद दिलाया था कि कठिन समय में जब कोरोना देश के कोने-कोने में फैल गया था, उस दौरान नर्सिंग ऑफिसर ने कोरोना कीट पहनकर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया था. कठिन समय पर सरकार ने डॉक्टरों के साथ-साथ नर्सिंग ऑफिसर और हेल्थ वर्करों को करोना योद्धा माना था. उस कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने काम किया और देश से कोरोना की बीमारी को दूर भगाने में आखिरी समय तक वे मैदान पर डटे रहे.
ये भी पढ़ें: राजस्थान में वन टाइम रजिस्ट्रेशन फीस लागू, अब प्रतियोगी परीक्षा के लिए बार-बार नहीं करनी होगी जेब ढीली