भोपाल: बीते कुछ दिनों से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) डीजल-पेट्रोल (Diesel Petrol) के भीषण संकट के दौर से गुजर रहा है. तेल कंपनियों (Oil Companies) ने आपूर्ति में 30-40 फीसदी तक की कटौती कर दी है. इसका खमियाजा आम जनता और किसानों को भुगतना पड़ रहा है. यह संकट ऐसे समय आया है, जब किसान फसलों के बोवनी की तैयारी कर रहे हैं. इस संकट के समाधान के लिए राज्य सरकार (State Government) ने गुरुवार को तेल कंपनियों की एक बैठक बुलाई है.
कितना तेल दे रही हैं तेल कंपनियां
रिलायंस, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और नायरा के पेट्रोल पंप लगभग सूखे पड़े हैं. वो ग्राहकों को वापस लौटा रहे हैं. सूत्रों की माने तो ऑयल कंपनियों ने मध्य प्रदेश के अंदर पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति में करीब 40 फीसदी तक की कटौती कर दी है. इससे प्रदेश के पेट्रोल पंपों के आर्डर पेंडिंग पड़े हुए हैं.यदि राजधानी क्षेत्र की बात की जाए तो राजधानी और उसके आसपास के 50 से अधिक ऐसे पेट्रोल पंप हैं, जो इस वक्त ड्राय कंडीशन में हैं.
पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का क्या कहना है
इस संबंध में जब एबीपी संवाददाता ने पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह से चर्चा की तो पता चला कि प्रदेश में करीब 2.5 करोड़ लीटर से अधिक पेट्रोल-डीजल की खपत होती है. लेकिन इस वक्त तेल कंपनियां एक करोड़ लीटर ईंधन भी आसानी से उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं. इससे तेल का संकट गहरा गया है.
इस समय प्रदेश में किसान बोवनी शुरू करने वाले हैं. इस समय डीजल की खपत बढ़ जाती है, ऐसे में यदि डीजल सही समय पर उपलब्ध नहीं हुआ तो बड़ी समस्या पैदा होने वाली है. इसी को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने गुरुवार को तेल कंपनियों के साथ बैठक बुलाई है. सरकार ने जल्द से जल्द इस समस्या के निराकरण को लेकर चर्चा करने का मन बनाया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि कब तक सरकार इस समस्या का निपटारा कर पाती है.
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