OBC Reservation Issue in MP: मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी (OBC) के लिए आरक्षित पंच, सरपंच, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत सदस्य के तकरीबन 75 हजार पदों की निर्वाचन प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है. इसी तरह आज होने वाली जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण की प्रक्रिया भी निरस्त कर दी गई है.सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में सिर्फ एससी-एसटी वर्ग के लिए ही आरक्षण होगा.


पंचायत सदस्यों के पदों के लिए निर्वाचन प्रक्रिया हुई स्थगित
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव बी. एस.जामोद ने देर रात जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के पालन में मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा त्रिस्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन वर्ष 2021-22 के लिए जारी कार्यक्रम के अंतर्गत अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पंच ,सरपंच, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत सदस्य के पदों की निर्वाचन प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इस संबंध में कार्यवाही के लिए सभी कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए गए हैं.मतदान से 19 दिन पूर्व इस तरह के आदेश से चुनाव कार्यक्रम में कई पेचीदगियां आने की संभावना है.


अब 27 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में ओबीसी के लिए आरक्षित पंचायत की सीटों पर चुनाव में स्थगनादेश देते हुए इन सभी सीटों को सामान्य घोषित करके नए सिरे से चुनाव अधिसूचना जारी करने के आदेश दिए थे. नई अधिसूचना के तहत की जा रही सामान्य सीटों का चुनाव परिणाम भी अन्य सीटों के साथ घोषित करने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिए. 27 जनवरी को याचिका पर अगली सुनवाई होगी.


कानून के दायरे में रहकर हो चुनाव
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के राज्य चुनाव आयोग से कहा कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाएं और ओबीसी के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करें. महाराष्ट्र के बाद अब मध्य प्रदेश में भी निकाय और पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का एक समान आदेश आया है. मध्य प्रदेश में होने वाले स्थानीय निकाय में ओबीसी आरक्षण के आधार पर चुनाव नहीं होगा. ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य सीट मानते हुए चुनाव कराने को कहा गया है.इसके लिए पुनः नई चुनाव अधिसूचना जारी करने के निर्देश भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए.सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना आरक्षण के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता.
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