Sehore News: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य में ही ‘शिव’ कैद में है. ऐसे में कैसे सुख हो सकता है. जो देवों का देव महोदव हैं. हमारा सबका दाता है.सबके पिताजी हैं. लेकिन वो देश की आजादी के बाद से कैद में है और आज तक कोई उनको कैद से बाहर नहीं ला सका है. धिक्कार है रायसेनवासियों, जो आज तक उनको बाहर नहीं ला सके.ये बातें सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा ने रायसेन में कही.वे रायसेन में आयोजित शिव महापुराण के दौरान उपस्थित जनसमूह को कथा श्रवण करा रहे थे.


धिक्कार है रायसेनवासियों
रायसेन के दशहरा मैदान पर भव्य शिव महापुराण कथा का आयोजन 3 अप्रैल से किया जा रहा है. यहां पर रोजाना दोपहर 2 बजे से लेकर 5 बजे तक शिव महापुराण की कथा का वाचन कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा कर रहे हैं. मंगलवार को उन्होंने कथा के दौरान कहा कि रायसेनवासियों सबका दाता, सबका पिताजी, सबका बुजुर्ग, सबका बाप यदि कैद में पड़ा हो और सब दीपावली पर गुजिया, पपड़ी खा लेते हो, धिक्कार है रायसेनवासियों. शिव मंदिर में ताला डला है और आप लोग दीवाली मना रहे हो…शंकर के मंदिर में ताला लगा हो और सब लड्डू खा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये सबके लिए शर्म बात है. देश आजाद हो गया है, लेकिन आज तक मेरा शंकर आजाद नहीं हुआ.


शिवराज मामा से की अपील
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि मैं अपील करता हूं हमारे शिवराज मामा से, जो इस राज्य के मुख्यमंत्री हैं. वे सनातनी है, हमारे गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी सनातनी हैं, हमारे प्रधानमंत्री वे भी सनातनी हैं, हमारे केंद्रीय मंत्री वे भी सनातनी हैं. मैं उनसे अपील करता हूं, मैं चाहता हूं कि वे शंकर को कैद से बाहर निकलवाएं. इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद उपस्थित जनसमूह से पूछा कि कितने लोग चाहते हैं कि शिव कैद से बाहर आए. उन्होंने मामा से आह्वान भी किया कि उनमें बल है, वे इस प्रदेश के राजा है, उन्होंने मध्यप्रदेश को चार चांद लगाए हैं एक और चांद लगाएं. जनता उनके साथ में खड़ी है. पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कथा के दौरान ही यदि मंदिर का ताला खुले तो ये इस प्रदेश एवं रायसेनवासियों के लिए गर्व की बात होगी.


वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि पर खुलता है ताला
रायसेन के सोमेश्वर महादेव मंदिर का साल में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि पर ताला खुलता है. तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री प्रकाश चंद सेठी ने किला पहाड़ी स्थित मंदिर पहुंचकर ताले खुलवाए और महाशिवरात्रि पर मंदिर परिसर में एक विशाल मेले का आयोजन किया, तब से हर साल शिवरात्रि पर मंदिर के गेट खोले जाने लगे. मंदिर के बारे में बताया जाता है कि ये 12वीं सदी में बना था. इस मंदिर के पट साल में सिर्फ एक बार शिवरात्रि में खुलते हैं.


ये है मंदिर का इतिहास
आजादी के बाद रायसेन किले पर स्थित प्राचीन सोमेश्वर भोलेनाथ का मंदिर और मस्जिद का विवाद खड़ा हुआ और पुरातत्व विभाग ने मंदिर में ताले लगा दिए, तब से 1974 तक मंदिर में कोई प्रवेश नहीं कर पाता था. 1974 में रायसेन नगर के हिंदू समाज और संगठनों ने मंदिर के ताले खोलने के लिए एक बड़ा आंदोलन शुरू किया, तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री प्रकाश चंद सेठी ने खुद किला पहाड़ी स्थित मंदिर पहुंचकर ताले खुलवाए और महाशिवरात्रि पर मंदिर परिसर में एक विशाल मेले का आयोजन किया.


तब से साल में एक बार महाशिवरात्रि के दिन ही मंदिर के ताले खोलने की व्यवस्था लागू की गई जो आज भी जारी है.सोमेश्वर महादेव बाबा के कुछ भक्त ऐसे हैं, जो सालभर यहां माथा टेकने आते हैं. मंदिर का ताला बंद रहता है, लेकिन भक्त गेट के बाहर से ही बाबा सोमेश्वर की पूजा करने आते हैं और मन्नत मांगकर चले जाते हैं. मंदिर के लोहे के दरवाजे पर ये भक्त कलावा और कपड़ा बांध जाते हैं और मन्नत पूरी होने पर फिर ये इस कपड़े को खोलने आते हैं.


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