इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) में युद्धग्रस्त यूक्रेन (Ukraine) से अपनी जान बचाकर लौटे छात्रों के भविष्य को लेकर संकट खड़ा हो गया है. दरअसल अब ये बच्चे ना तो यूक्रेन में वापस जाकर अपनी पढ़ाई कर सकते हैं और ना ही भारत में वर्तमान में ऐसी कोई व्यवस्था है जिससे वह अपनी पढ़ाई को आगे जारी रख सकें. 


 

यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों की पढ़ाई को लेकर राजनीति शुरू

गौरतलब है कि यूक्रेन और रूस के बीच 50 दिन से ज्यादा समय से चल रहे युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मुद्दों को लेकर खींचतान जारी है. वहीं भारत सरकार की ओर से चलाए गए ऑपरेशन गंगा के तहत सकुशल स्वदेश लाये गए भारतीय छात्रों के सामने अपने भविष्य को लेकर संकट की नई स्थिति बनी हुई है. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों के सामने अब यह समस्या है कि वे यूक्रेन में अपनी पढ़ाई को आगे जारी नहीं रख पा रहे. और वही अब नियमों के अनुसार वह अपनी आगे की पढ़ाई भारत में अभी नहीं कर पा रहे हैं. जिसे लेकर अब राजनीति गलियारों में बयानबाजी शुरू हो चुकी है.

 

कांग्रेस ने क्या कहा?

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला का कहना है कि यूक्रेन से आये छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है. आगे पढ़ाई को लेकर एडमिशन के लिये वह दर दर भटक रहे हैं. ऐसे में सुरक्षित लौटे छात्रों का भविष्य अब अधर में नजर आ रहा है. छात्रों को अपनी मेडिकल डिग्री की चिंता सताने लगी है. ये छात्र यूक्रेन की जिस यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. इस युद्ध में उनमें से कई विश्वविद्यालय नष्ट हो चुके हैं. ऐसे में इन विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को डिग्री मिलेगी या नहीं यह अभी तय नहीं है और न ही इन सवालों का जवाब देने वाला कोई है.



 

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने क्या कहा?

वहीं छात्रों के भविष्य को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि देश की सरकार को उन बच्चों की चिंता है लेकिन अगर बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के उन्हें सीधे एडमिशन दिया जाता है तो ऐसे में जो बच्चे कठिन परीक्षाओं को पास कर पढ़ाई कर रहे हैं, उनमें आक्रोश उत्पन्न होगा. इसलिए भारत सरकार यूक्रेन से वापस आए विद्यार्थियों के लिए जल्दी कोई ठोस कदम उठाएगी ताकि उन बच्चों का भविष्य खराब ना हो.

 

छात्रों को सरकार से उम्मीद

फिलहाल तो यूक्रेन से लौटकर आए इन छात्रों की आखिरी उम्मीद अब भारत सरकार पर ही टिकी हुई है. भारत सरकार इन बच्चो के भविष्य को देखते हुए शीघ्र ही इनके एडमिशन की व्यवस्था करे जिससे बच्चों का भविष्य खराब ना हो.

 

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