MP News: बिजली कटौती पर नेता प्रतिपक्ष के पत्र पर ऊर्जामंत्री ने कांग्रेस को ही घेरा, दिग्विजय सिंह की सरकार पर लगाए ये आरोप
MP News: बिजली कटौती पर कांग्रेस की ओर से की जा रही घेराबंदी के बीच प्रदेश के ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि कांग्रेस अपनी गलतियों पर भी कुछ कहे.
Power Cut in MP : प्रदेश में हो रही बिजली कटौती के मामले में कांग्रेस की ओर से की जा रही घेराबंदी के बीच प्रदेश के ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कांग्रेस पर ही आरोप लगाए हैं. आरोप लगाते हुए उन्होंने ऊर्जा मंत्री ने दिग्विजय सिंह पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह की सरकार में बिजली गुल रहने से कई छात्रों का भविष्य अंधेरे में चला गया था. ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी माना जाता है.
नेता प्रतिपक्ष के पत्र किया पलटवार
नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह की ओर से बिजली कटौती को लिखे गए पत्र में सदन में विशेष सत्र बुलाने और 900 करोड़ के घोटाले के आरोप पर ऊर्जा मंत्री ने कहा कि डॉ. गोविंद सिंह के पास घोटाला के कोई तथ्य हो तो वे पेश करें, हम जांच कराएंगे. लेकिन उन घटनाओं के पश्चाताप के लिए भी डॉ. गोविंद सिंह मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखें. उन घटनाओं की क्षमा याचना के लिए सदन का सत्र बुलाने की मांग करें जो दिग्विजय सिंह के शासनकाल में घटित हुई थीं. खास बात यह है कि दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में प्रद्युम्न तोमर कांग्रेस के नेता थे बल्कि कांग्रेस विधायक के रूप में सत्ता में हिस्सेदार भी थे.
नेता प्रतिपक्ष ने लगाए थे सरकार पर आरोप
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि प्रदेश में बिजली का संकट गहराता जा रहा है. कोयले की कमी और कुप्रबंधन के चलते प्रदेश के ताप विद्युत गृह बंद होने की कगार पर हैं. मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी के चार पॉवर प्लांटों में से तीन पॉवर प्लांट गंभीर स्थिति में हैं. संजय गांधी थर्मल पॉवर प्लांट, सतपुड़ा थर्मल पॉवर प्लांट और श्री सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट की विद्युत उत्पादन की क्षमता कोयले की कमी और कुप्रबंधन के कारण आधी रह गई है. इससे प्रदेश में विद्युत संकट गहरा रहा है.
उन्होंने पत्र में आगे लिखा है कि प्रदेश में मांग के अनुपात में पर्याप्त बिजली की उपलब्धता नहीं है. वहीं प्रदेश सरकार ने विद्युत उत्पादन कंपनियों को विगत वर्ष बगैर एक भी यूनिट बिजली लिए 900 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. एक ओर कोयले की कमी के चलते राज्य सरकार विदेशी कोयला खरीदने की तैयारी में हैं, इससे राज्य सरकार का यह दावा खोखला साबित हो रहा है कि प्रदेश में कोयले की कोई कमी नहीं है.
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