Khandwa News: देश में गणेशोत्सव की धूम है. मध्य प्रदेश के खंडवा की जेल में बंद कैदियों ने भी जेल में ही भगवान गणेश के इस महोत्सव के मौके पर उनकी मूर्ति स्थापित कर ली. यहां मूर्ति की पूजा भी कैदी ही करते हैं, आरती भी कैदी करते हैं और कैदियों में मिल कर ही गणपति जी का पंडाल भी सजाया है. उनका मानना है कि गणपति की आराधना करने से उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और उनके मन से नेगेटिविटी दूर होती है. जेल प्रशासन भी उनके इस अच्छे काम में उनकी मदद कर रहा है.


हो रहा है सकारात्मक ऊर्जा का संचार
खंडवा की ब्रिटिश कालीन जेल में बंद कैदियों ने जेल के अंदर जेल प्रशासन के साथ मिलकर गणेश उत्सव पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की है. कैदियों ने मिलकर पहले तो गणपति जी का पंडाल सजाया, उसमें लाइटिंग की, उसके बाद जेल प्रशासन की मदद से पंडाल में करीब 2 फीट की गणेश प्रतिमा की स्थापना की. अब रोज यहां कैदी मिलकर गणेश जी की आरती गाते हैं. खास बात यह है कि गणपति की पूजा करने वाले भी कैदी ही है. आरती के दौरान ढोलक बजाने वाले भी कैदी ही है. आरती के समय जेल प्रशासन के लोग कैदियों को एक निश्चित स्थान पर जहां गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है लाकर उनके साथ पूजा अर्चना करते हैं. ऐसा करने के पीछे कैदियों का तर्क है कि भगवान गणेश की स्थापना करने के बाद उनके मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ है और उनके मन से बुराइयां दूर निकलने लगी है.






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क्या कहा जेल अधीक्षक ने?
जेल अधीक्षक अदिति चतुर्वेदी ने बताया कि हमने जेल के अंदर गणेश प्रतिमा की स्थापना की है. जिसमें कैदियों ने पूरे पंडाल को सजाया है. हमें इस आयोजन को इसलिए किया है कि गणेश उत्सव के दौरान कैदी उत्सव को हर्षोल्लास के साथ बना पाए और उनके अंदर जितनी भी नेगेटिविटी है वह दूर हो सके. इस आयोजन में सभी बंदी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और सुबह शाम की आरती में शामिल होते हैं.


बंदी गाते है आरती
जेल अधीक्षक चतुर्वेदी बताती है कि जब से गणेश उत्सव की शुरुआत हुई है. कैदियों ने ही मिलकर गणेश जी के लिए पूरे पंडाल को सजाया है. ऐसा करने से उनका दिमागी टेंशन भी कम हुआ है और उनके अंदर एक सकारात्मक भावना जागृत हुई है. आरती के समय जेल के सारे अधिकारी, कर्मचारी और कैदियों के साथ मिलकर आरती में शामिल होते हैं. जेल अधीक्षक चतुर्वेदी ने कहा कि आरती और भजन गाने वाले भी बंदी ही होते हैं. यहां तक कि प्रसाद भी कैदियों द्वारा ही बनाया जाता है. कैदियों का मानना है कि गणपति की आराधना करने से उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है,और उनके मन से नेगेटिविटी दूर होती है. जेल प्रशासन भी उनके इस अच्छे काम में उनकी मदद कर रहा है.


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