Madhya Pradesh News: झारखंड के गिरिडीह स्थित पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को वन्य जीव अभ्यारण्य में शामिल कर पर्यटन स्थल बनाए जाने को लेकर मध्य प्रदेश के जैन समाज में भारी आक्रोश है. आज बुधवार को जबलपुर में जैन समाज के लोगों ने सरकार के फैसले का मौन रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया. इसके साथ ही जैन समुदाय के तमाम व्यापारियों ने भी अपनी-अपनी दुकानें बंद कर हड़ताल की.
क्यों नाराज है जैन समाज
यहां बता दें कि सम्मेद शिखर जैन धर्म के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकर भगवान और असंख्य महामुनिराजों ने इसी पवित्र भूमि से तपस्या कर निर्वाण प्राप्त किया है. दिगंबर जैन पंचायत सभा जबलपुर के अध्यक्ष कैलाश चंद जैन के मुताबिक 15 जनवरी 2022 को पारसनाथ पर्वतराज (शिखर ) पर हजारों लोगों की भीड़ ने पर्यटन की दृष्टि से पर्वतारोहण किया. तीर्थकर भगवान के मोक्ष चरण पर जूते-चप्पल पहनकर और खाते-पीते फोटो खिंचवाई. संपूर्ण तीर्थ क्षेत्र में खाद्य सामग्री सहित कई अवांछनीय सामग्री फैलाकर यहां की पवित्रता को खंडित किया. पूज्यनीय क्षेत्र पर अशोभनीय हरकतें भी देखने को मिलीं.
प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
सकल जैन समाज के मनीष जैन कल्लू ने कहा कि सम्मेद शिखर की पवित्रता पर संकट से जैन समाज में रोष व्याप्त है, जिसका विश्व स्तर पर प्रत्येक नगर, ग्राम, शहर में विरोध प्रारंभ हो गया है. संस्कारधानी जबलपुर में जैन समाज की आंदोलन रैली का शुभारंभ कमानिया गेट से हुआ. विशाल आंदोलन रैली कमानिया गेट, लार्डगंज थाना, सुपर मार्केट, मालवीय चौक होते हुए बड़े फुहारे पहुंचा, जहां प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया. इस दौरान जबलपुर के मुख्य बाजार से जैन समुदाय के हजारों लोगों ने विशाल रैली निकाली जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए.
फैसला वापस नहीं लेने पर देशभर में होगा विरोध
जैन समाज का कहना है कि अगर शिखर को पर्यटन स्थल बनाया जाता है, तो यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाएगा. पवित्र स्थान पर लोग अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देंगे. पर्यटन स्थल बनाए जाने से पवित्र स्थान पर लोग जैन नियमों का पालन नहीं करेंगे. लिहाजा इसे पर्यटन स्थल नहीं बनाना चाहिए. सरकार के इस फैसले से जैन समुदाय के आस्था को ठेस पहुंची है. अगर सरकार अपना फैसला नहीं बदलती है तो देश भर में जैन समुदाय लगातार अपना विरोध प्रदर्शन करता रहेगा.