Madhya Pradessh News: मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) ने 'अग्निपथ' (Agnipath) से रिटायर होने वाले 'अग्निवीरों' के लिए पुलिस भर्ती में आरक्षण देने की घोषणा की है. उसका कहना है कि देश की सेवा से रिटायर होने के बाद 'अग्निवीरों' को नई नौकरी के लिए भटकना नहीं होगा. मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि उन्हें पुलिस भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी. लेकिन मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती को लेकर हाई कोर्ट में लंबित याचिकाएं सरकार की इन लुभावनी घोषणाओं पर सवाल खड़े कर रही हैं.


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने केंद्र सरकार की ओर से अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद से ट्वीट कर अग्निपथ योजना की तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस निर्णय से देश के लाखों युवाओं को लाभ होगा और ये राष्ट्र के नवनिर्माण के साथ-साथ अपने उज्ज्वल भविष्य के पथ पर तीव्र गति से आगे बढ़ सकेंगे. उन्होंने कहा था कि अग्नवीरों के साथ प्रधानमंत्री जी और हम सब देशवासी सदैव साथ खड़े रहेंगे.


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पूरा ट्वीट


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा था, 'भारतीय सेना भारत का गौरव और देशवासियों का अभिमान है. सेना के जवान हमारे हीरो, रोल मॉडल हैं. युवाओं को भारतीय सेना से जोड़ने, देश की सीमा की सुरक्षा करने और भारत माता की रक्षा करने के लिए अग्निपथ योजना प्रारंभ करने की घोषणा की गई है. सेना से जवानों को जोड़ने की ये अद्भुत योजना है.अग्निपथ योजना शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी को ह्रदय से धन्यवाद और रक्षा मंत्री श्री @rajnathsingh जी को बधाई देता हूं. चार साल बाद अग्निपथ योजना के अंतर्गत सेना में भर्ती हुए #BharatKeAgniveer को हम मध्यप्रदेश पुलिस भर्ती में भी प्राथमिकता देंगे."


मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ये कहा था


शिवराज सिंह चौहान ने अग्नीवीरों को पुलिस भर्ती में प्रथमिकता देने का वादा तो कर दिया है, लेकिन प्रदेश में जारी पुलिस आरक्षक भर्ती की हालत कुछ और है. आरक्षक भर्ती को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में भूतपूर्व सैनिकों की 33 याचिकाएं लंबित हैं. हाई कोर्ट उनपर एक साथ सुनवाई कर रहा है. हाई कोर्ट का आदेश है कि एमपी पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया उसके आदेश के अधीन होगी.


याचिकाओं में मध्य प्रदेश में हो रही पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में एक भी पूर्व सैनिक को नहीं चुने जाने का मामला उठाया गया है. हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन समेत व्यवसायिक परीक्षा मंडल भोपाल को नोटिस जारी करते हुए जवाब-तलब किया है. याचिकाकर्ताओं की दलील है कि मध्य प्रदेश सरकार ने पुलिस आरक्षकों (जीडी और रेडियो) के पदों का चयन करने के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित किया था.


आरक्षकों के कुल 6000 पदों के लिए लिखित परीक्षा पूर्ण हो चुकी है. इसमें 30 हजार उम्मीदवारों को फिजिकल टेस्ट के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है. इसमें एक भी फौजी या एक्स सर्विसमैन शामिल नहीं होने से इसे नियमों का उलंग्घन बताया गया है. याचिकाकर्ताओं के वकील नरिंदर पाल सिंह रूपराह की दलील थी कि एक्स सर्विसमैन के पदों को सामान्य श्रेणी के अभ्यार्थियों से नहीं भरा जा सकता. एक्स सर्विसमैन के पदों पर सिर्फ एक्स सर्विसमैन ही भर्ती होंगे. उनकी इस दलील पर हाई कोर्ट ने सरकार सहित अन्य से जवाब-तलब किया है.


एनएस रूपराह ने बताया


एनएस रूपराह ने बताया कि याचिकाओं पर राज्य सरकार और पीईबी ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है. पहले 13 जून को इस पर सुनवाई निर्धारित थी, लेकिन किसी वजह से हीयरिंग का नंबर नहीं आया. मंगलवार को कोर्ट में स्लिप देकर जल्द सुनवाई की अपील की जाएगी. उनका कहना है कि सरकार अपने ही बनाये नियमों से पीछे हट गई है.


भूतपूर्व सैनिकों को पुलिस भर्ती में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने लिखा है, ''मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2020 में सम्मिलित भूतपूर्व सैनिक और महिला अभ्यार्थियों के प्रतिनिधिमंडल ने मुझे अवगत कराया है कि भर्ती परीक्षा वर्ष 2020 में भूतपूर्व सैनिकों को 10 प्रतिशत आरक्षण के लाभ से वंचित रखा गया है. 


उन्होंने बताया है कि प्रोफेशनल एग्जाम बोर्ड (PEB) की ओर से जारी की नियम पुस्तिका में भूतपूर्व सैनिकों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का उल्लेख था, लेकिन बोर्ड द्वारा जारी किए गए प्रारंभिक परिणामों में आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है'. दिग्विजय सिंह ने पत्र में यह भी अनुरोध किया कि भर्ती परीक्षा 2020 में पूर्व सैनिकों के लिये आरक्षित 10 फीसदी आरक्षण का पालन कराते हुए फिर से परीक्षा परिणाम जारी किया जाए. उन्होंने परीक्षा परिणामों में हुई गड़बड़ी की उच्च स्तर से जांच कराते हुए अभ्यार्थियों को न्याय दिलाने की भी मांग की है. दिग्विजय सिंह ने आरक्षण में अनियमितता करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की भी मांग की है.


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