Red Sand Boa Snake: छिंदवाड़ा के पांढुर्ना में एक दो मुंह वाले सांप का रेस्क्यू किया गया है. अंतराष्ट्रीय बाजार में दुर्लभ सांप की कीमत 10 करोड़ रुपये बताई जा रही है. सांप पकड़नेवाले अमित संभारे ने दावा है. 4 किलो 4 ग्राम वजनी और 4 फीट 6 इंच लंबा दो मुंह वाला सांप रेड सेंडबोआ प्रजाति का है. सर्प मित्र अमित संभारे ने एक घर से सांप का रेस्क्यू किया. बताया जाता है कि रेड सेंडबोआ प्रजाति का सांप ग्राम लहरा के बने मकान में घुस आया था. खेत में बने मकान से दुर्लभ प्रजाति सर्प का रेस्क्यू किया गया है.


बेशकीमती सांप का रेस्क्यू


मकान में रविवार को एक अनोखा सांप देखकर निलेश घाटोड़े के परिजनों ने सर्प मित्र अमित संभारे को सूचना दी. सूचना मिलते ही सर्प मित्र अमित संभारे मौके पर पहुंचे और दो मुंह वाले दुर्लभ सांप को पकड़कर जंगल में छोड़ दिया. सर्प मित्र संभारे ने बताया कि लगभग 12 बजे रेस्क्यू के लिए कॉल आया था. पांढुर्ना तहसील के लहरा गांव में लोगों को सांप दिखाई देने के बाद सूचना तत्काल दी गई. मौके पर पहुंचने के बाद पाया कि दुर्लभ प्रजाति का सांप रेड सेंडबोआ के नाम से जाना जाता है. दुर्लभ सांप को मध्य प्रदेश में 2 मुंह वाला सांप भी कहा जाता है और साइंटिफिक नाम  Eryx johnii है.


पांढुर्ना के वन विभाग को पंचनामा बनाकर सांप सौंपा गया. बाद में उसे जंगल में छोड़ दिया गया. सर्प मित्र अमित संभारे का दावा है कि दो मुंह वाले दुर्लभ प्रजाति के सांप की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 10 करोड़ से ऊपर है. रेड सेंडबोआ प्रजाति का सांप किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है और जहरीला भी नहीं होता है. बता दें कि सर्प मित्र अमित संभारे अभी तक 4 हजार से अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं. रेस्क्यू किए गए सर्प में विभिन्न प्रजातियों के जहरीले सांप शामिल है. उंन्होंने दुर्लभ प्रजातियों के सांपों का भी रेस्क्यू किया है.


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जाने दुर्लभ सांप के बारे में


• इसका वैज्ञानिक नाम- एरिक्स जॉनी (Eryx Johnii) है.


• यह एक दुर्लभ गैर-जहरीला सांप है. इसका उपयोग विशेष प्रकार की दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों और काले जादू में किया जाता है. इसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक मांग है.


• यह सांप उत्तरी बंगाल, पूर्वोत्तर भारत और भारतीय द्वीपों को छोड़कर पूरे भारत में पाया जाता है.


• आम तौर पर इसे ‘दो मुंह वाला सांप ’ या ‘दो सिर वाला सांप’ (Two-Headed Snake) के रूप में जाना जाता है.


• वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत इस सांप को पकड़ना और इसका व्यापार करना अपराध है. यह प्रजाति अधिनियम की अनुसूची 4 के तहत सूचीबद्ध है.