Reporter Dairy: बारह जनवरी यानी कि विवेकानंद जयंती यानी कि युवा दिवस. पत्रकार वार्ता कांग्रेस नेता और सांसद दिग्विजय सिंह के घर पर ही थी. मगर नजारा एकदम नया था. श्यामला हिल्स के बंगले में प्रवेश करते ही हरी लॉन पर सफेद मंच सजा था. ऊपर कुर्सियों के आजू बाजू विवेकानंद के आदम कद कटआउट थे. मंच पर गांधी भी थे तो डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी. तीनों शीर्ष पुरुषों की बड़ी तस्वीरों के नीचे उनके जो उद्धरण थे जिनका मूल विषय हिंदू धर्म ही था.
धर्म कोई पंथ नहीं बल्कि मानव के भीतर के मूल्य होते हैं. इन मूल्यों में दया, करूणा, प्रेम, त्याग, सत्य, न्याय होते हैं,, बापू.
मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व करता हूं जिसने संसार को सहिष्णुता की शिक्षा दी है,, विवेकानंद.
हिंदू धर्म की आत्मा को समझने वाला हिंदू जानता है कि सारे धर्म पवित्र हैं,,डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णनन.
किसी कांग्रेसी नेता के बंगले पर धर्म की ये तैयारी देख कर महसूस हो गया कि आज यहां खबर नहीं धर्म पर उपदेश मिलेंगे. उधर दिग्विजय सिंह आये भी तो हाथ में कुछ किताबें और धर्म के उद्धरण वाले ढेर सारे पन्ने लिये थे. किताबों में सावरकर की हिंदुत्व पर लिखी किताब भी थी. मुझे देखकर कहा आज तुम्हारे लिये किताबें भी लाया हूं वरना लिख दोगे ट्विटर पर कि किताबें लेकर बोला करो. चालीस मिनट की उस वार्ता का लब्बोलुआब ये था कि दिग्विजय सिंह ने अपनी शुरुआती राजनीति से लेकर अब तक का ब्योरा दिया और बताया कि वो धार्मिक परिवार से हैं, धर्म कर्म करते हैं, सनातन धर्म को मानते हैं, इसलिए उन पर ये तोहमत न लगायी जाये कि वो हिंदू धर्म विरोधी हैं. हां हिंदुत्व के विरोधी हैं क्योंकि हिंदुत्व धर्म नहीं बल्कि राजनीति है. हिंदुत्व शब्द का उल्लेख धर्म की किसी किताब में नहीं है बल्कि ये तो सावरकर की किताबों से ही उपजा है.
खैर ये तो था दिग्विजय सिंह की पत्रकार वार्ता का मूल पक्ष मगर दिग्विजय इससे अलग तब दिखते हैं जब वो अपने अनौपचारिक रूप में होते हैं. पत्रकार वार्ता के बाद वो बैठ गये हम पत्रकारों के बीच और पूछिए जो पूछना हो के अंदाज में. बस फिर क्या था बातें पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक हुईं. एमपी में कांग्रेस में बदलाव पर कहा हमारे पूर्व और भावी मुख्यमंत्री तो कमलनाथ ही हैं और रहेंगे. सिंधिया पर कहा कि अगर उनको बीजेपी सीएम प्रत्याशी बनाकर उतारेगी तो हमें जीतने में आसानी होगी और यदि शिवराज सिंह ही मुख्यमंत्री बने रहें तो सरकार बनाने में और ज्यादा आसानी होगी. खास बात ये कि हम पत्रकारों के सारे आडे़ तिरछे सवालों के बाद वही दिग्विजयी मार्का जोरदार ठहाका. साफ दिख रहा था कि सोशल मीडिया के सारे मंचों पर अतिवादियों के भारी ट्रोल होने के बाद भी उनके बिंदासपन और बेफ्रिकी में जरा भी कम नहीं हुयी है.
दिग्विजय सिंह के यहां से लौटकर उनके कहे पर खबर फाइल ही की थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अचानक महत्वपूर्ण विषय पर बुलायी वार्ता का संदेश आ गया. तकरीबन भागते दौड़ते मंत्रालय पहुंचे तो लगा कि कोरोना की नयी पाबंदियों पर कुछ कहेंगे मुख्यमंत्री जी मगर मुद्दा पंजाब में प्रधानमंत्री के साथ हुयी सुरक्षा में चूक का था. शिवराज जी ने माइक के सामने चेहरा कड़ा कर सख्त भाषा में लिखा एक नोट पढ़ा सोनिया जी से कुछ सवाल पूछे और उठकर चल पडे़. हमारे कुछ पूछते ही अपने चैंबर में आने का इशारा कर दिया. वल्लभ भवन की पांचवी मंजिल पर मुख्यमंत्री का बड़ा सा सादगी भरा कमरा जहां मेज से दूर रखी कुर्सियों पर हम बैठे और फिर यहां पर कैमरे से अलग असल शिवराज दिखे जो इन दिनों कम ही मौकों पर दिखते हैं. यहां भी सहज सरल नेता का उनका खास अंदाज पूछ लो जो पूछना हो मगर पहले चाय आने दीजिए उसके बाद ही सारी बातें होंगी बहुत दिनों से आप सबसे गप्पें नहीं की हैं और शिवराज फिर हंस पड़े. साफ लग रहा था कि सारे सरकारी और पार्टी के दिये काम निपटाकर अब वो बेफिक्र और बेतकल्लुफ हो गये थे.
यहां भी फिर वहीं पंजाब उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश की राजनीति से जुड़ी हम पत्रकारों की पसंदीदा बातें. कोरोना की तीव्रता और तैयारियों से लेकर पंचायत नगर निगम और यूपी चुनाव तक सब पर सीएम ने खुलकर अपनी बात रखी. इन बातों के बीच में दिग्विजय सिंह भी आये. दिग्विजय की इस उम्र में उनकी सक्रियता की शिवराज ने दाद दी मगर वहीं कहा दिग्विजय सिंह को आगे रखकर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी तो हम और आसानी से फिर सरकार बनायेंगे. अब उलझन देखिये प्रदेश के दो बडे़ नेता दोनों के दोनों के ऊपर बयान और दोनों के एक से दावे इसमें किसको सच और किसे झूठ मानें. मगर अब तो आप मान गये होंगे कि हम पत्रकारों का काम कितना मुश्किल होता है बड़े नेताओं के दावों के बीच सच तलाशना.
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