Jabalpur News: आज का जमाना ऑनलाइन का है, लेकिन मध्य प्रदेश में सूचना के अधिकार कानून में अभी भी सब कुछ ऑफलाइन चल रहा है. मध्य प्रदेश में सूचना के अधिकार कानून के तहत ऑनलाइन आवेदन करने की व्यवस्था नहीं होने को लेकर अब हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है.


लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के विशाल बघेल की ओर से दायर की गई इस जनहित याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश में साल 2005 से ही सूचना के अधिकार कानून लागू किया गया है, जिसके तहत किसी भी विभाग से आवेदन कर जानकारी मांगी जा सकती है. हैरानी की बात यह है कि यह व्यवस्था आज के दौर में ऑनलाइन नहीं है. केंद्र सरकार ने 2013 में एक पोर्टल जरूर बनाया था लेकिन मध्य प्रदेश में आरटीआई के लिए इस तरह का पोर्टल नही बनाया गया हैं.


काटने पड़ते हैं चक्कर
जनहित याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन आवेदन ना होने की वजह से आवेदनकर्ताओं को दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं, जिसकी वजह से समय भी बर्बाद होता है और सही जानकारी नहीं मिल पाती है. याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे को हाईकोर्ट ने भी गंभीरता से लिया है और राज्य शासन और राज्य सूचना आयोग को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.


इस मामले में याचिकाकर्ता द्वारा पूर्व में भी शिकायतें कर विभाग एवं आयोग से आरटीआई (RTI) पोर्टल की खामियां दूर कर ऑनलाइन आवेदन और अपील प्रस्तुत करने की व्यवस्था करने हेतु मांग की गई थी लेकिन विभागों ने उसमें कोई कार्रवाई नहीं की. इससे व्यथित होकर ही यह जनहित याचिका प्रस्तुत की गई है.


कानूनी प्रावधान क्या है?
मध्य प्रदेश लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल ने जनहित याचिका दायर कर बताया है कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 19(1) A में वर्णित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुक्रम में भारत के नागरिकों को संसद द्वारा 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सरकार से सवाल पूछने का हक दिया गया था. कानून में प्रावधान किया गया था कि आरटीआई एक्ट की धारा 6 के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक लिखित आवेदन, ऑनलाइन और अन्य युक्ति से प्रेषित कर सरकार से दस्तावेज या जानकारी मांग सकता है. इसके अलावा अधिनियम की धारा 7(1) में यह भी प्रावधान है कि अगर जानकारी किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ी हुई है तो वह 48 घंटे में प्रदान की जानी चाहिए.


याचिका में कहा गया है कि इन प्रावधानों का पालन बगैर ऑनलाइन व्यवस्था किए संभव नहीं है, क्योंकि भारत सरकार ने साल 2013 में आरटीआई पोर्टल बनाकर आवेदन हेतु ऑनलाइन व्यवस्था दी है. केंद्रीय सूचना आयोग ने भी अपीलों और शिकायतों हेतु ऑनलाइन पोर्टल बनाया है, लेकिन मध्य प्रदेश राज्य ने लंबे पत्राचार के बाद जब ऑनलाइन पोर्टल 2021 में बनाया भी है तो उसमें सभी विभागों और शासकीय कार्यलयों को जोड़ा ही नहीं गया है जिससे नागरिक किसी भी आवेदन को ऑनलाइन लगाने में असमर्थ हैं.


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