Sagar News:सागर का खंडेराव मेला: इस वजह से दहकते अंगारों पर चलते हैं श्रद्धालु, मनोकामना पूरी होने पर करना होता है यह काम
MP News: मध्य प्रदेश के सागर में श्री देव खंडेराव मंदिर में चंपा छठ के दिन से 10 दिनों के लिए मेला लगता है. इस मेले में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने पर नंगे पैर दहकते अंगारों पर चलते हैं.
Madhya Prdaesh News: मध्य प्रदेश के सागर (Sagar) जिले के देवरी स्थित श्री देव खंडेराव का प्रसिद्ध अग्नि मेला मंगलवार से शुरू हो गया है. अगहन माह की चंपा षष्ठी से शुरू होकर यह मेला आठ दिसंबर तक चलेगा. मेला देखने के लिए देवरी समेत आसपास के हजारों लोग पहुंचे. पहले दिन 135 श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने पर आग के दहकते अंगारों पर से निकले और भगवान खंडेराव की आराधना की. पूर्व विधायक सुनील जैन भी अग्नि मेला में पहुंचे. पिछले 30 सालों से वह हर साल मेले में पहुंच रहे हैं. आपको बता दें इस मेले में सागर और आसपास के कई जिलों से श्रद्धालु हर साल आते हैं.
श्री देव खंडेराव की महाराष्ट्र में ज्यादा पूजा होती है. मणिचूल पर्वत महाराष्ट्र की सीमा पर होने से श्रीदेव के उपासक महाराष्ट्र प्रांत में अधिक है. महाराष्ट्र में श्रीदेव कुलदेवता के रूप में पूज्य हैं. यह मंदिर सागर से दक्षिण में 65 किलोमीटर व नरसिंहपुर से उत्तर में 75 किलोमीटर दूरी पर सागर, नरसिंहपुर मार्ग पर देवरी कलां में स्थित है. यहां हर साल अगहन शुक्ल में चंपा छठ से आठ दिसंबर पूर्णिमा तक मेला लगता है. यहां षष्ठी से पूर्णिमा तक भक्त गण अपनी मनोकामना पूरी होने पर नंगे पैर आग पर चलते है.
यह है दंत कथा
पुजारी नारायण वैद्य बताते हैं कि आग से निकलने की प्रथा भी मंदिर निर्माण के समकक्ष है. यह करीब 400 साल पुराना मंदिर है. एक बार राजा यशवंतराव का बेटा बीमार हो गया. तब देव खंडेराव ने दर्शन देकर कहा कि हल्दी के उल्टे हाथ लगाएं. भट्टियां खोदकर अंगारे डाले और हाथ से हल्दी डालकर अग्नि के ऊपर से निकलें तो उनका बेटा स्वस्थ हो जाएगा. उन्होंने ऐसा किया और बेटा ठीक हो गया. तभी से यह प्रथा शुरू हो गई और लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर देव श्रीखंडेराव के अग्नि मेले में नंगे पांव आग के ऊपर से चलते हैं. दस दिन में करीब हजारों की संख्या के आसपास श्रद्धालु नंगे पैर आग पर चलकर अपनी मनौती पूरी करते हैं.
मंदिर की विशेषता
मंदिर के निर्माण की एक बड़ी ही अनोखी विशेषता हैं कि मंदिर में बने दक्षिण तरफ के सूर्य की रोशनी अगहन सुदी षष्टी को ठीक 12 बजे पिण्ड पर पड़ती है, जो कि दर्शनीय है. पुजारी के अनुसार साल 1850 से वैद्य परिवार के पास मंदिर है, जो कि उनकी सेवा करते हैं. मंदिर प्रबंधक नारायण मल्हार वैद्य देव प्रधान के पुजारी हैं, वहीं उनके सबसे छोटे भाई विनायक मल्हार वैध मेले व उत्सव का प्रबंध देखते हैं.
लोग मन्नत मांग कर फोड़ते हैं नारियल
प्रथा है कि श्रीदेव मंदिर में हल्दी के उल्टे हाथ लगा और नारियल बांध कर अपनी मनोकामना कहे फिर मनोकामना पूरी होने पर हाथ सीधा करें और नारियल फोड़े. अगर ऐसा नहीं किया गया तो आगे भी काम अवरुद्ध होता है. देवरी के पूर्व विधायक सुनील जैन कहते हैं कि पिछले 30 सालों से अग्निमेले में आ रहा हूं. साल 1993 में पहली दफा देवरी से चुनाव जीता था, तभी से मेरी श्रद्धा है. वहीं पिछले 15 सालों से मेले में आ रही एक महिला श्रद्धालु ने बताया कि उन्होंने बेटी का आईआईटी में सलेक्शन की मनौती मानी थी. मेले के पहले दिन 135 श्रद्धालु आग के अंगारों से निकले. वहीं इस मेले को देखने के लिए क्षेत्र के आसपास के अलावा प्रदेश भर से लोग आते हैं.
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