Pashupatinath Barakhamba Fair: मध्य प्रदेश के सीहोर (Sehore) जिले का एक दिवसीय सबसे बड़ा बाराखंबा का मेला बुधवार को अव्यवस्थाओं के बीच संपन्न हुआ. इस वजह से श्रद्धालुओं को शुद्ध पेयजल से लेकर यातायात संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ा. दिवाली पर्व पर पड़वा के दिन लगने वाले इस मेले में बाबा पशुपतिनाथ के दर्शन हेतु प्रदेश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचे.


श्रद्धालु यहां अपने मवेशियों की सलामती के लिए दूध चढा़ते हैं जिस पर उनकी यह मान्यता है कि जिस मवेशी का दूध पशुपतिनाथ की शिला पर चढ़ाने से मवेशी साल भर स्वस्थ रहती है. उसे किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं होती हैं.


व्यवस्थाओं में कमी दिखी


लक्ष्मी पूजन के अगले दिन पड़वा को लगने वाला यह ऐतिहासिक बाराखंबा मेला जिला मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर नीलबड़ ग्राम पंचायत अंतर्गत देवपुरा में स्थित है . यहां हर वर्ष इस विशाल मेले का आयोजन बीते कई वर्षों से संपन्न हो रहा है. इस बार भी आयोजन को लेकर समिति और प्रशासनिक अमले द्वारा कई व्यवस्था की गई थी, लेकिन मौके पर यह सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त नजर आई.


ये है मान्यता


देवपुरा में विराजे बाबा पशुपतिनाथ को लेकर क्षेत्र में ऐसी मान्यता है कि साल भर में जब भी मवेशी बीमार होते हैं तब पशुधनी बाराखंबा वाले देव का ध्यान करते हैं. तभी दूध चढ़ाने की मनोकामना भी की जाती है, जिससे मवेशी तुरंत स्वस्थ हो जाते हैं. साथ ही दिवाली पर्व पर पड़वा के दिन बाबा के यहां दूध का भोग लगाने से बाबा की कृपा से मवेशी साल भर पूर्ण स्वस्थ अवस्था में रहते हैं.


इसीलिए यहां पड़वा के दिन लाखों की तादात में श्रद्धालु अपने मवेशियों के दूध का भोग लगाने आते हैं जिससे यहां काफी विशाल मेले का आयोजन होता है. इसी के मद्देनजर मंदिर समिति द्वारा इस बार भोग लगने वाले दूध हेतु  10/10 के कुंड का निर्माण किया गया. जिसमें समिति का अनुमान है कि 12 से 15 हजार लीटर दूध एकत्रित हुआ, जिसे अब किसी भी प्राकृतिक स्थान पर ठंडा कर दिया जाएगा.


बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जमावड़े के साथ ही यहां व्यापार हेतु आसपास के क्षेत्र से लगभग 2100 से 2400 व्यापारी यहां व्यापार हेतु मेला स्थल पर पधारे. व्यापारी महेश राठी का कहना है कि महंगाई के चलते हमारे व्यापार पर इस बार बहुत बड़ा असर पड़ा है. जो व्यापार पिछले कई सालों से हो रहा था वह व्यापार इस मेले में इस बार ना के बराबर रहा .


सीसीटीवी कैमरे से रखी गई निगरानी


मंदिर समिति द्वारा बताया गया कि मेले की विशालता साल दर साल बढ़ती ही जा रही है जिस कारण चोरी छेड़छाड़ जैसी घटनाएं होती थी. जिनके मद्देनजर इस बार समिति द्वारा मुख्यता मंदिर प्रांगण और आसपास के क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. जिनसे अवांछनीय घटनाओं पर निगरानी रखी गई.
 
कच्ची सड़कों से होकर गुजरे श्रद्धालु


हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रद्धालुओं को बाराखंबा मंदिर पहुंचने हेतु कच्ची सड़क से ही गुजरना पड़ा. बाराखंबा जाने वाले प्रमुख मार्गो में से श्रद्धालुओं को नीलबड़ से बाराखंबा लगभग 5 किलोमीटर की दूरी या ग्राम खेरी से बारह खंबा 3 किलोमीटर की दूरी धूल के गुबार और बड़े-बड़े गड्ढों से गुजर कर ही तय करनी पड़ी.


पिछले कई वर्षों से स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा बाराखंबा मार्ग को पक्की सड़क से जोड़ने का वादा किया जा रहा है लेकिन यह वादे जनता को सिर्फ चुनावी जुमले ही लग रहे हैं. वास्तविकता में आज भी मार्ग पर सिर्फ धूल और गड्ढे नजर आ रहे थे.


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