Shanishchari Amavasya: मकर संक्रांति के बाद आने वाली शनिश्चरी अमावस्या इस बार विशेष योग के साथ आ रही है.  इस दिन पूजा अर्चना करने से भगवान शनिदेव की कृपा बरसती है और सारे संकट दूर हो जाते हैं. पंचांग की गणना के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या प्रायः मोनी अमावस्या के नाम से जानी जाती है. इस बार अमावस्या के दिन शनिवार होने से यह शनिश्चरी अमावस्या कहलाएगी.


पंडित अमर डिब्बेवाला के मुताबिक 21 जनवरी को आने वाली शनिश्चरी अमावस्या विशेष इसलिए भी मानी जाती है कि इस अमावस्या के आसपास में उत्तरायण का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है. धार्मिक कार्य तथा पुण्य की वृद्धि एवं तीर्थाटन के लिए यह दिन विशेष रूप से पूजनीय और मान्य है.


दान, तीर्थ यात्रा, भागवत श्रवण से मिलेगा विशेष लाभ


ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बेवाला के मुताबिक भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों में ऊर्जावान, सुंदर एवं आध्यात्म का कारक ग्रह शनि ढाई वर्ष में राशि परिवर्तन करते हैं. इन्हीं ढाई वर्षों के दौरान कभी वक्र अवस्था और कभी मार्गी अवस्था चलती रहती है. गणना के चक्र के बाद शनि ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. इस बार मोनी अमावस्या पर शनि का राशि परिवर्तन 4 दिन पहले ही हो जाएगा.


कुंभ राशि के शनि के साक्षी में इस बार की मौनी अमावस्या का महापर्व योग बन रहा है. विशेष यह भी है कि मकर राशि में सूर्य शुक्र की युति तथा मूल त्रिकोण, त्रिकोणों के अधिपति की स्थिति खप्पर योग का निर्माण कर रही है. शनि का कुंभ राशिफल मूल प्रवेश की अवस्था 30 वर्ष बाद बन रही है. इस दृष्टि से यह 30 वर्ष बाद मौनी अमावस्या का महापर्व रहेगा. इस दौरान दान, तीर्थ यात्रा, भागवत श्रवण आदि का विशेष महत्व होता है और ऐसा करने से पुण्य प्राप्त होता है.


शनि की अनुकूलता के लिए करें दान
ज्योतिषाचार्य श्री डिब्बेवाला के मुताबिक अमावस्या तिथि के अधिपति पितृ देवता हैं. इस दौरान तीर्थ स्नान एवं तांबे के कलश में काले तिल, सोने का दाना रखकर वैदिक ब्राह्मण को दान करने से रोग, दोष, बाधा की निवृत्ति होती है. साथ ही सीधा खड़ा धान दान करने से भी ग्रहों की अनुकूलता होती जिससे कार्य में प्रगति का रास्ता खुलता है. गायों को घास खिलाने से भी कुलवृद्धि का रास्ता बनता है. 


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