भोपाल: मध्य प्रदेश से राजनीति की शुरूआत कर देश के राजनीतिक फलक पर छा जाने वाले शरद यादव की मौत की खबर से पूरे प्रदेश में दुख की लहर दौड़ गई है. शरद यादव होशंगाबाद के बावई तहसील के आंखमऊ गांव के रहने वाले थे. इसी गांव में उनका जन्म हुआ था.यही कारण है कि उनकी निधन की खबर से मध्य प्रदेश में भी शोक की लहर है.शरद यादव का अंतिम संस्कार 14 जनवरी को उनकी जन्म स्थली होशंगाबाद के बावई तहसील के आंखमऊ गांव में ही होगा.उनका पार्थिक शरीर प्लेन के माध्यम से भोपाल लाया जाएगा. वहां से एंबुलेंस के जरिए उसे होशंगाबाद के आंखमऊ गांव ले जाया जाएगा.
कहां और कब हुआ निधन
पूर्व केंद्रीय मंत्री और लगातार 13 साल जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे शरद यादव की मौत गुरुवार को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट से हो गई थी.उनकी मौत की खबर उनकी बेटी ने सोशल मीडिया के जरिए दी थी.उनकी बेटी और बेटे ने ट्वीट पर लिखा,''पापा अब इस दुनिया में नहीं रहे.''0
जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित बाबई तहसील के बंदाई गांव के रहने वाले थे.उनका जन्म एक जुलाई 1947 को एक किसान परिवार में हुआ था. जब वे 1971 में जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उनकी दिलचस्पी राजनीति में हुई. उन्होंने जबलपुर के इंजीनीयरिंग कॉलेज से छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.छात्र संघ अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा.
जबलपुर से लड़ा था पहला चुनाव
बता दें कि उनके राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत भी मध्य प्रदेश से ही हुई थी.पहली बार 1974 में शरद यादव ने जबलपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. ये समय था जेपी आंदोलन का,जेपी ने उन्हें संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में जबलपुर से अपना उम्मीदवार बनाया था.शरद इस सीट को जितने में कामयाब रहे और पहली बार संसद भवन पहुंचे. इसके बाद साल 1977 में भी वे इसी सीट से सांसद चुने गए.उन्हें युवा जनता दल का अध्यक्ष भी बनाया गया.
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