Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में पिछले दो दशक में नए जिले बने हैं. वहीं अभी भी नए जिले की राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. मध्य प्रदेश में कई ऐसे इलाके हैं, जहां के लोग अपने क्षेत्र को जिला बनाने की मांग लगातार उठा रहे हैं. अब नए जिले की राजनीति कहां थमेगी, यह कहा नहीं जा सकता है लेकिन इसका लाभ किसे मिलेगा? इस सवाल का जवाब चुनाव के बाद मिल जाएगा. 


दरअसल, साल 2000 में जब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ अलग हुए थे, उस समय एमपी में केवल 45 जिले थे. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने नए जिले बनाने की शुरुआत की. पहले जनसंख्या, क्षेत्रफल और कई अन्य कारणों से नया जिला बनाने की मांग उठती थी लेकिन अब मध्य प्रदेश की राजनीति में वोट बैंक के चलते भी नया जिला बनाने की मांग तेजी से उठ रही है. मध्य प्रदेश में इन 23 सालों में 9 नए जिले बन चुके हैं जबकि एमपी के कई और इलाकों ऐसे है जहां अभी भी नया जिला बनाने की मांग उठ रही है. वर्तमान में एमपी में 54 जिले हो चुके हैं. 


उज्जैन संभाग के सोनकच्छ, कन्नौद, खातेगांव, जावरा, खाचरोद, महिदपुर आदि तहसील को जिला बनाने की मांग तेजी से उठ रही है. नया जिला बनने से सरकार को काफी आर्थिक बोझ बढ़ जाता है. हालांकि वोटबैंक की राजनीति के चलते लोगों की मांग को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है. हमेशा ऐसा माना जाता है कि नया जिला बनने से लोगों का रुझान सत्तारूढ पार्टी की ओर बढ़ता है लेकिन इस बार कांग्रेस भी अपना दावा मजबूती से पेश कर रही है. ऐसे में नए जिले बनाने का चुनावी फायदा किसे पहुंचेगा? यह देखना दिलचस्प होगा.


ऐसे हुई थी नया जिला बनाने की शुरुआत
साल 2003 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री चेहरे की प्रत्याशी और प्रदेश बीजेपी की अध्यक्ष उमा भारती ने तीन नए जिले बनाने का वादा जनता से किया था. बीजेपी की सरकार बनने के बाद बुरहानपुर, अशोकनगर और अनूपपुर के रूप में एमपी को 3 नए जिले मिले. तत्कालीन बीजेपी सरकार ने खंडवा से अलग करते हुए बुरहानपुर को नया जिला बनाया, जबकि गुना से अलग करते हुए अशोक नगर को जिले के रूप में अस्तित्व में लाया गया. इसी प्रकार शहडोल से अलग करते हुए अनूपपुर को जिला बनाया. इसके बाद एमपी में जिलों की संख्या 48 हो गई. 


सीएम शिवराज के कार्यकाल में बन गए छह नए जिले
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल 2008 में दो नए जिले बनाने की घोषणा की. इसके बाद सीधी से अलग होकर सिंगरौली नए जिले के रूप में अस्तित्व में आया. इसी प्रकार झाबुआ जिले को छोटा करते हुए अलीराजपुर को नया जिला बना दिया गया. इस प्रकार मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 50 हो गई. इसके पश्चात शाजापुर को आगर मालवा से अलग करते हुए आगर मालवा को नया जिला बना दिया गया. नया जिला बनाने का दौर यहां भी नहीं थमा. टीकमगढ़ से अलग करते हुए निवाड़ी को नया जिला बना दिया गया. इसके बाद मऊगंज और नागदा को जिला बनाने की घोषणा हुई. इस प्रकार अब मध्य प्रदेश में 54 जिले हो जाएंगे.


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