MP News आज से नहीं हो पाएगा सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग, मध्य प्रदेश में इन 16 आइटम पर लगा बैन
MP News: माना जा रहा है कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद सबसे ज्यादा लाभ नर्मदा नदी को होगा. इस फैसले के बाद जबलपुर में सिंगल यूज प्लास्टिक बनाने वाली 5 यूनिट बंद करा दी गई हैं.
Jabalpur: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में आज से सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Palstic) पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया है. सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के कुल 16 आइटम पूरी तरह बैन कर दिए हैं. इनके उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर रोक लगा दी गई है. वहीं नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मध्य प्रदेश प्रदूषण कंट्रो बोर्ड द्वारा कठोर कार्रवाई की जाएगी. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के निर्देश पर जबलपुर में ऐसी पांच यूनिटों को बंद कर दिया गया है जो ऐसे चिन्हित प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक का निर्माण कर रही थीं.
सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद बनाने वाली पांच यूनिट बंद
सिंगल यूज प्लास्टिक वाली 16 वस्तुओं का उत्पादन, भंडारण, परिवहन, क्रय विक्रय और उपयोग आज शुक्रवार से पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. पूरे देश के साथ जबलपुर में भी केन्द्र सरकार का यह आदेश सख्ती के साथ लागू रहेगा. प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड के निर्देश पर जबलपुर में ऐसी पांच यूनिटों को बंद कर दिया गया है जो ऐसे चिन्हित प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक का निर्माण कर रही थीं.
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आलोक जैन के मुताबिक अब इन यूनिटों में ऐसे कंपोज मटेरियल बनाए जाएंगे जो धरती में बेहतर तरीके से अपघटित हो सकें. इसको लेकर यूनिट के संचालकों ने आवदेन पहले ही दे दिया था. जनता सिंगल यूज प्लास्टिक उपयोग न करे, इसके लिए उसे जागरूक किया जाएगा और जो नियम तोड़ेगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.
ये सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंधित
• प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड़
• प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक
• आइसक्रीम स्टिक, सजावटी थर्माकोल
• प्लेट्स कप, गिलास, फार्क, चम्मच, चाकू
• स्वीट्स बॉक्स, निमंत्रण पत्र, सिगरेट पैकेट को कवर करने वाली पैकेजिंग
• प्लास्टिक स्टीकर्स,
• 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक-पीवीसी बैनर
सबसे ज्यादा लाभ यहां होगा
माना जा रहा है कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद सबसे ज्यादा लाभ नर्मदा नदी को होगा. कलकल बहते जल में जो अभी अपघटित न होने वाले कारक बहते रहते हैं, उनकी मात्रा घट जाएगी. तट पर पहले से कम गंदगी होगी और जो कचरा जमा भी हुआ तो उसमें ऐसी सामग्री ज्यादा होगी जो जमीन में कुछ आसानी से अपघटित नहीं हो सकती है. इसी तरह नाले-नालियों के चोक होने की समस्या से भी निजात मिलेगी.
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