Jabalpur News: मध्यप्रदेश में MBBS और पीजी की डिग्री-डिप्लोमा लेने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में ड्यूटी न करने वाले चिकित्सकों पर राज्य सरकार कार्रवाई करने जा रही है. प्रदेश के 4 सरकारी कॉलेजों के 1100 से ज्यादा चिकित्सकों का पंजीयन रद्द करने की तैयारी की जा रही है.ऐसे चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल (MP MEDICAL COUNCIL) से रद्द कराने की तैयारी कर ली गई है.


इन चिकित्सकों ने उपाधि हासिल करने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएँ नहीं दीं. नियमानुसार गाँवों में सरकारी ड्यूटी करने से इंकार करने पर बॉन्ड की राशि जमा करनी होती है,लेकिन डॉक्टरों ने ऐसा नहीं किया.कॉलेज प्रबंधन द्वारा इस संबंध में बार-बार नोटिस भी जारी किए गए हैं, लेकिन चिकित्सकों की ओर से बॉन्ड राशि भरने को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई गई.


नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल कालेज,जबलपुर के डीन डॉ पी के कसार के मुताबिक जिन चिकित्सकों ने बॉन्ड की राशि नहीं भरी है,उन्हें कई बार नोटिस दिया गया है. वेबसाइट पर इससे संबंधित जानकारी डालने के अलावा विज्ञापन प्रकाशित कर बॉन्ड भरने के लिए सूचना दी गई थी.अब कार्रवाई प्रदेश स्तर पर हो रही है.

77
करोड़ से ज्यादा है बॉन्ड की रकम
जानकारी के अनुसार सन् 2002 में डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए ग्रामीण ड्यूटी अनिवार्य करते हुए एक साल का बॉन्ड सिस्टम लागू किया गया था.2006 से पीजी करने वालों के लिए यह 2 साल का हो गया. 2013 में इसे फिर से एक साल का कर दिया गया.शुरुआत में बॉन्ड की राशि 40 हजार थी.बाद में इसे 10 लाख और अब इसे बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दिया गया है.

1100
से ज्यादा डॉक्टर्स पर होगी कार्रवाई
मेडिकल सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार की कार्रवाई में जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के 150 डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की तैयारी है.इनमें यूजी के 51, पीजी डिप्लोमा के 43 और पीजी के 56 डॉक्टर्स हैं.इन सभी की बॉन्ड राशि कुल 11 करोड़ से ज्यादा है.प्रदेश भर में 1118 चिकित्सकों पर कार्रवाई होगी,इनकी कुल बॉन्ड राशि 77 करोड़ के करीब है. इसमें सबसे ज्यादा 325 चिकित्सक जीएमसी भोपाल, इसके बाद 292 चिकित्सक एमजीएम इंदौर, 193 चिकित्सक जीआरएमसी ग्वालियर और 158 चिकित्सक एसएसएमसी रीवा से हैं.

कोरोना संक्रमण काल में ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी सामने आने के बाद यह मामला फिर सुर्खियों में आया.कोरोना से जंग के दौरान गाँवों में चिकित्सकों की कमी खली और डॉक्टर न होने से कई मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिला.सूत्रों के अनुसार इसके बाद शिकायत उच्च स्तर पर हुई,जिसके बाद करवाई का फैसला लिया गया.


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