MP News: अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बोले- 'केवल अपने सियासी लाभ के लिए सनातन पर..., अयोध्या राममंदिर को लेकर दिया ये बड़ा बयान
Jabalpur News: अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि साधू-संत, धार्मिक लोग और रामभक्त 500 सालों से इसके लिए संघर्ष करते रहे, ऐसे लोगों को एक राजनीतिक संगठन ने दरकिनार कर दिया. किसी को पूछा तक नहीं.
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्यों स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सनातन विवाद पर बड़ी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर के नेताओं में न अध्ययन है,न अनुभव. फिर वे सनातन के बारे में सिर्फ अपने सियासी लाभ लेने के बोलते हैं. इसलिए नेता सिर्फ राजनीति करें, धर्म का काम धर्माचार्य करें. उन्होंने साफ कहा कि जिम्मेदारी देने से पहले जनप्रतिनिधियों को परखा जाना चाहिए.
एबीपी न्यूज़ से विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मौजूदा दौर के नेताओं को लेकर किए गए सवाल पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सख्त लहजे में कहा कि पुस्तकीय ज्ञान के साथ अनुभव भी हो, तभी आप कुछ कहने-सुनने में सक्षम होते हैं. मौजूदा दौर के नेताओं में न अध्ययन है न अनुभव, फिर आप सनातन के बारे में सिर्फ अपने सियासी लाभ लेने के बोलते हैं. इसलिए नेता सिर्फ राजनीति करें, धर्म का काम धर्माचार्य करें.इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर बनाना सरकार का काम नहीं. धर्मनिरपेक्ष सरकार मंदिर बनाने का काम न करें. मंदिर बनाने का काम धर्माचार्यों पर छोड़ देना चाहिए.
'नेताओं की परीक्षा लें'
चुनावों को देखते हुए जनता को समझाइश देते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि निर्बलों को सबल लोग न सताए, शिक्षा सबको मिले, स्वास्थ्य सबको मिले. इस अवधारणा को लेकर राजनीति का उदय हुआ है, लेकिन अब तो सब उल्टा दिखाई देता है. जनता नेता से जनता के सवाल पूछे और धर्म की बात करने से रोके. यही नहीं जिस तरह स्कूल-कॉलेज में बच्चों की परीक्षाएं होती हैं, उसी तरह नेताओं की भी परीक्षा ली जाए. उन्होंने साफ कहा कि जिम्मेदारी देने से पहले जनप्रतिनिधियों को परखा जाए.
'500 सालों तक संघर्ष किया'
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़े सवाल पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि रामालय ट्रस्ट को क्यों भूल गए? ट्रस्ट को क्यों हटाया गया? जबकि वो पक्षकार है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर को जन्मस्थान को मानने वालों ने 500 सालों तक संघर्ष किया. 100 साल पहले बने एक संगठन ने कुछ वर्ष पहले कब्जा कर लिया. कोर्ट ने भी पक्षकारों को दरकिनार कर नया ट्रस्ट बनाने की अनुमति दे दी, जो गलत है. सरकार का काम मंदिर बनाना नहीं है.
'अपनी मनमर्जी करना गलत है'
ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अयोध्या राम मंदिर शिलान्यास और लोकार्पण के सवाल पर आगे कहा कि साधू-संत, धार्मिक लोग और रामभक्त 500 सालों से इसके लिए संघर्ष करते रहे, लड़ते रहे, ऐसे लोगों को एक राजनीतिक संगठन ने दरकिनार कर दिया. किसी को पूछा तक नहीं. सबके प्रयासों को एक तरफ कर किसी को भी शिलान्यास में नहीं बुलाना और अपनी मनमर्जी करना गलत है.
धर्माचार्यों की अनदेखी की
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि एक राजनीतिक परिवार ने धर्म और धर्माचार्यों की अनदेखी की. साधू-संतों और रामभक्तों ने मुकदमा लड़ा, गालियां खाईं, यातनाएं झेलीं और आज शिलान्यास में उनको आमंत्रण तक नहीं है. शिलान्यास में ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के साथ किसी भी पक्षकार को नहीं बुलाया गया. ऐसी तो परिस्थितियां हैं, ये टीस तो मन में होगी.
'हमें ट्रस्टी बनने की पीड़ा नहीं है'
उन्होंने आगे कहा कि मैंने हाईकोर्ट के फैसले में 40 दिन सुबह से शाम तक बैठकर विशेषज्ञ के रूप में गवाही दी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले में भी कई जगहों पर हमारे नाम का उल्लेख है. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दो टूक कहा कि हमें ट्रस्टी बनने की पीड़ा नहीं है, लेकिन मंदिर बनने के बाद किसके अंडर में रहेगा? सनातन धर्म के हर स्थान पर हमारा अधिकार है और सनातन धर्म के प्रमुख होने की वजह से किसी भी धार्मिक स्थान की जानकारी रखने का स्वत अधिकार है.
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