इंदौर: शहर के वीर सावरकर नगर (Veer Savarkar Nagar) में रहने वाले 62 साल के परमानंद तोलानी (Parmaand Tolani) अपनी अनूठी परंपरा को लेकर पूरे शहर में जाने जाते हैं. उन्हें इंदौर शहर (Indore City) के 'धरती पकड़' के नाम से जाना जाता है. क्योंकि परिवार सहित परमानन्द तोलानी अब तक 35 से अधिक चुनावों में अपनी जमानत जब्त करवा चुके हैं. वो अबतक 8 लोकसभा, 6 विधानसभा और महापौर पद के 3 चुनाव लड़ चुके हैं. 


कैसा रहा है इंदौर के 'धरती पकड़' का सफर


पेशे से कारोबारी परमानंद तोलानी उर्फ धरतीपकड़ ने एक बार फिर नगरीय निकाय चुनाव में महापौर पद के प्रत्याशी के रूप में इंदौर के कलेक्टर कार्यालय में नामांकन दाखिल किया है. उन्होंने बताया कि वो अबतक 17 बार प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर चुके हैं, लेकिन उन्हे अब तक जीत हासिल नहीं हुई है. हमेशा उन्होंने अपनी जमानत जब्त करवाई है. अब 18वीं बार फिर चुनाव मैदान में हैं.


तोलानी के मुताबिक उनके पिता मिठाराम ने 30 साल तक कई पदों का चुनाव लड़ा था. वह भी हमेशा हारे. साल 1988 में उनके निधन के बाद परमानंद तोलानी 1989 चुनाव में अपने पिता की परंपरा को कायम रखते हुए चुनाव में कूद पड़े. उनका यह सफर अब तक जारी है.


कितनी बार चुनाव लड़ चुके हैं परिजन


परमानंद तोलानी के अनुसार उनके परिवारजन अबतक 35 से ज्यादा चुनावों में भाग ले चुके हैं. वे अपने परिजनों की हार और जमानत जब्त करवाने को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करवाने के लिए आवेदन दे चुके हैं. उनका कहना है कि यह सफर तबतक जारी रहेगा, जबतक वो कोई चुनाव नहीं जीत जाते हैं. परमानंद तोलानी का दावा है कि उत्तराखंड के एक ज्योतिष ने भविष्यवाणी की है कि वह इस बार जीत जरूर हासिल करेंगे. यह ज्योतिष वही हैं जिन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भविष्यवाणी की थी. इसके बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने थे. वो कहते हैं कि यही कारण है कि कांग्रेस के उम्मीदवार भले ही जनसंपर्क कर रहा है, बीजेपी ने अपनी हार के डर से अब तक महापौर पद के उम्मीदवार तक की घोषणा नहीं की है. 


तोलानी ने अबतक 8 लोकसभा, 6 विधानसभा और 3 बार महापौर पद के लिए चुनाव लड़ा है. वह भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में. हर चुनाव में वो सबसे पहले नामांकन दाखिल करने वाले प्रत्याशी होते हैं. वो अबतक पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. वहीं एक बार महापौर का पद महिला के लिए आरक्षित हुआ था, उस समय उन्होंने अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा था. परमानंद तोलानी कहते हैं कि उनके मरने के बाद यह काम उनका परिवार संभालेगा. 


यह भी पढ़ें


MP Panchayat Election : दो पंचायतों में दो दशक से चल रही है पति-पत्नी की 'सरकार', इस बार ये लोग दे रहे हैं टक्कर


Jabalpur News : नेताओं की खींचतान में उलझे बीजेपी के मेयर उम्मीदवार, अब दिल्ली दरबार में होगा फैसला